March 29, 2024

-राजस्थानी चिराग रिपोर्टर
बीकानेर.
देशभर में कहर बरपा रहा जानलेवा कोरोना अब बीकानेर में भी घातक हो गया है। इसके कहर से हर दिन एक दो जनों की मौत हो रही है और मौत का आंकड़ा अब ४४ तक पहुंच गया है। इनमें जुलाई माह में सर्वाधिक मौत हुई है,मरने वालों में अब युवा उम्र के संक्रमित भी शामिल है। चिंता की बात तो यह है कि ज्यादात्तर केस ऐसे सामने आ रहे है संक्रमित की सांसे थम जाने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। यानि अधिकांश रोगियों को पता भी नहीं चला वह कब संक्रमित हो गये और सांसे थमने के बाद रिपोर्ट में खुलासा हो रहा है कि कोरोना के कारण उनकी सांसे थमी है। इससे भी हैरानी की बात तो यह है कि कोरोना के कहर पर काबू पाने में नाकाम चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी अपनी नाकामी छूपाने के लिये कोरोना संक्रमितों की मौत किन्ही ओर बीमारियों से होना बता रहे है। जबकि सुपर स्पेशिलिटी सेंटर से जुड़े चिकित्सीय सूत्रों ने खुलासा किया है कि इस महिने अधिकांश जनों की सांसे कोरोना की चपेट में आने से ही थमी है। पीबीमए होस्पीटल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने भी आगाह किया है कि कोरोना अब ज्यादा घातक हो गया है,इसलिये बचने के लिये सतकर्ता और सावधानी बरतने की ज्यादा जरूरत है। जानकारी में रहे कि बीकानेर में ४८ घंटों के अंतराल में कोरोना के कहर से पांच जनों की मौत हो चुकी है,इनमें जस्सूसर गेट के बाहर रहने वाला ३२ वर्षीय युवक मनोज व्यास,कुचीलपुरा निवासी ४९ वर्षीय रोशन अली,पवनपुरी निवासी ६४ वर्षीय अनिल कुमार और ५४ वर्षीय हाकम अली भी शामिल है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रेल से जून माह तक १५मरीजों की कोरोना से मौत हुई थी जबकि जुलाई माह के 25 दिनों में ३० मरीजों की मौत हो चुकी है। इस लिहाज से जुलाई माह में हर दिन औसतन एक मरीज की मौत हो रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि कोरोना गंभीर बात है। लोगों की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। लोग अस्पताल आने से कतरा रहे हैं। गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे उनकी मौत हो रही है। इस महीने छह ऐसे मरीज थे जिनकी यहां आने से पहले की मौत हो गई और वे पॉजिटिव आए हैं। मौत के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आना बेहद चिंतनीय है। इसका मतलब कोरोना को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं।


दिल व सांस की तकलीफ के रोगी रखे ख्याल

कोरोना वायरस दिल व सांस की तकलीफ के रोगियों पर भारी पड़ रहा है। इसलिए ऐसे रोगी अभी अपना विशेष ख्याल रखें। बीकानेर में कोरोना संक्रमण से हुई ४४ मौतों में से 8 मरीज ऐसे थे, जिन्हें दिल की बीमारी थी और 14 ऐसे, जिन्हें सांस की बीमारी थी। इमें कई ऐसे थे, जो अस्पताल पहुचने से पहले ही दम तोड़ चुके थे और मौत के बाद उनकी कोरोना की पुष्टि हुई। ऐसे 18 मरीज थे, जिको मौते के बाद कोरोना की पुष्टि हुई। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते लोग अस्पताल जाने से डर रहे है। इस कारण उन्हें बचा पाना मुश्किल साबित हो रहा है।

फेफड़ों की रिजर्व कैपेसिटी हो जाती है कम
मेडिकल कॉलेज के श्वास व अस्थमा रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.प्रमोद ठकराल का कहना है कि पहले श्वास संबंधित बीमारियां अस्थमा, दमा या पुरानी टीबी से ग्रसित मरीजों में कोरोना का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे मरीजों में फैफड़ों की रिजर्व कैपेसिटी पहले ही कम होती है। कोरोना वायरस से होने वाले न्यूमोनिया से फेफड़े की क्षमता और कम हो जाती है। ऐसे मरीज के ठीक होने की सम्भावना कम रहती है। वहीं हद्दय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे व्यक्ति जिनकों पहले हार्ट अटैक आ चुका है, उनके ब्लड पम्पिंग की क्षमता कमजोर हो जाती है। साथ ही डायबिटीज व ब्लड प्रेशर होने पर ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इससे कोरोना का वायरस इन पर ज्यादा प्रभाव डालता है। पुरानी बीमारी के कई मरीज ऐसे भी है जिनके मन में कोरोना का भय बना हुआ है। समय पर अस्पताल पहुंचने की बजाए ये गम्भीर स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे है। ऐसे मरीजों को बचा पाना मुश्किल होता है।