April 26, 2024

डॉक्टर ने अस्पताल में कार से 3 को कुचला : एक की मौत; प्रेग्नेंट समेत दो महिलाएं उछलकर दूर गिरीं, नशे में था डॉक्टर

नागौर। डॉक्टर की तेज रफ्तार कार ने अस्पताल परिसर में तीन लोगों को कुचल दिया। टक्कर से एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो महिलाएं उछलकर दूर जा गिरी। घायल हुई महिलाओं में एक प्रेग्नेंट है। मामला नागौर के जिला अस्पताल का गुरुवार सुबह का है। हादसे के वक्त डॉक्टर नशे में था। पुलिस ने डॉक्टर को गिरफ्तार कर होंडा सिटी कार को जब्त कर लिया।
नागौर सीओ विनोद सीपा ने बताया कि जेएलएन जिला हॉस्पिटल के डॉक्टर वाई.एस. नेगी ने ड्यूटी पर आते समय अपनी कार से तीन लोगों को टक्कर मार दी। हादसा हॉस्पिटल परिसर में ही हुआ। इस हादसे में रोल निवासी भंवरलाल मेघवाल (57) की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक भंवरलाल मुंडवा में समाज कल्याण विभाग में कार्यरत थे। वहीं रईसा (40 ) और डाजिया बानो (20) बुरी तरह से घायल हो गई है। डाजिया बानो प्रेग्नेंट है।

एंबुलेंस से टकराकर पेड़ से टकराई कार
डॉक्टर यहीं नहीं रुका और आगे एक प्राइवेट एंबुलेंस से टकराते हुए रेलिंग तोड़ते हुए कार पेड़ से टकरा गई। इसके बाद डॉक्टर कार से बाहर गिर गया। आनन-फानन में हॉस्पिटल स्टाफ ने घायलों और डॉक्टर को संभाला और इलाज के लिए हॉस्पिटल में ले गए।
सीओ ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया कि जिला हॉस्पिटल में फिजिशियन डॉक्टर वाई.एस. नेगी (एमबीबीएस) नशे की हालत में था। इस दौरान उसे खुद को भी चोट आई है। इलाज के बाद डॉक्टर नेगी को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है। लोगों ने बताया कि वह करीब 70 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से कार लेकर हॉस्पिटल परिसर में घुसा।

सांसद बेनीवाल ने की कार्रवाई की मांग
मामले में नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा- नागौर में एक चिकित्सक की ओर से लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट कर देना दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। चिकित्सक के खिलाफ हिट एंड रन का केस दर्ज करके और सख्त कार्रवाई करवाने को लेकर रेंज IG अजमेर व SP नागौर को निर्देश दिए हैं।
दूसरे ट्वीट ने सांसद ने लिखा- हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कुछ लोग घायल हो गए। नागौर स्थित जिला चिकित्सालय में ड्यूटी के समय एक दर्जन चिकित्सक शराब पीकर बैठे रहते हैं, मैंने जिला कलेक्टर के साथ अस्पताल का दौरा पिछले महीनों में किया तब व्यवस्था में सुधार के लिए निर्देश दिए थे। मगर कोई सुधार नजर नहीं आया। ओपीडी के समय अधिकतर चिकित्सक गायब रहते हैं, लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है, राजस्थान सरकार के जिम्मेदारों को ऐसे गंभीर विषय पर कार्रवाई करनी चाहिए।