March 29, 2024

जुगलजी दुकान का है मामला
बीकानेर। शहर में मिठाई एवं नमकीन की दूकानों पर बेचे जा रहे दूषित फास्ट फूड जनमानस के लिये घातक साबित हो रहे है,इनके कारण लगातार बढ रहे फूड पॉईजनिंग मामलों के बावजूद भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमें के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठै है। जानकारी में रहे कि पिछले दिनों स्टेशन रोड़ स्थित मिठाई नमकीन विक्रेता ‘जुगलजीÓके दूषित पैटीज से फूड पॉइजनिंग के कारण युवक की तबीयत बिगडऩे का मामला सामने आ चुका है। इसके अलावा पीबीएम होस्पीटल में हर रोज पहुंच रहे फूड पॉइजनिंग पीडि़तों के बावजूद भी स्वास्थ्य महकमें के जिम्मेदार अधिकारी दूषित खाद्य पदार्थो की रोकथाम के लिये प्रभावी कदम नहीं उठा रहे है। जागरूक लोगों ने बताया कि बीकानेर में ‘जुगलजीÓ जैसे नामी मिठाई नमकीन विक्रेता फास्ट फूड के नाम पर सरेआम लोगों को बीमारियां परोस रहे है। ज्यादा मुनाफे के लिये मिलावटी मिर्च मसालों,घटिया तेल का इस्तेमाल करते है। बासी खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं को थमा देते है। इससे फूड पॉईजनिंग की आंशका रहती है। बीकानेर में गर्मी बढने के साथ इस तरह के मामले बढने लगे है। चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी के मौसम में दूषित फास्ट फूड ‘जहरÓका काम करते है,इसलिये जहां तक हो फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए है।
कार्यवाही से बचने के लिये झाड़ रहा पल्ला
जानकारी में रहे कि मिठाई-नमकीन विक्रेता ‘जुगलजीÓके प्रतिष्ठान से ऑनलाईन सर्विस द्वारा मंगाये गये पैटिज के सेवन से एक युवक की तबीयत इस कदर बिगड़ गई कि उसे गंभीर हालत में पीबीएम होस्पीटल में मंगवाया गया। इस मामले की जांच पड़ताल पर पता चला कि ‘पैटिजÓ दूषित था,उसमें फंगस थी। यह मामला सीएमएचओं के ध्यान में आने के बाद उन्होने कार्यवाही के निर्देश दिये तो कार्यवाही से बचने के लिये ‘जुगलजीÓप्रतिष्ठान संचालकों ने अपना पल्ला झाड़ लिया,उनका कहना है कि पैटिज हमारे प्रतिष्ठान से मंगवाया ही नहीं गया था,जबकि इसके पुख्ता प्रमाण है कि दूषित पैटीज इसी प्रतिष्ठान से मंगवाया गया था और मामला दबाने के लिये प्रतिष्ठान संचालकों ने पीडि़त युवक को प्रलोभन भी दिया था। इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि ‘जुगलजीÓ के फास्ट फूड उत्पादों को लेकर पहले भी शिकायतें मिल चुकी है,लेकिन प्रतिष्ठान संचालक पीडि़त जनों को प्रलोभन में लेकर मामला दबवा देते है।
मिठाई एवं खाद्य निर्माताओं को उत्पादन व बिक्री का भरना पड़ेगा फार्म
बीकानेर। मिठाई एवं खाद्य पदार्थ निर्माता, रिटेलर, रिलेबलिंग, रिपेकर, दूध व दूध से बनी वस्तुओं को बेचने व बनाने वालों को अब अपना उत्पादन व बिक्री सरकारी कागज पर दर्शानी होगी। दूध व दूध से बनी वस्तुओं में कितनी फेट है, फेट की कीमत क्या है। कितनी मात्रा में माल बेचा है। निर्माता, रिटेलर, रिलेबलिंग व रिपेकर को फार्म डी 1 व दूध व दूध से बनी वस्तुओं को बनाने व बेचने वालों को फार्म डी 2 भरना पड़ेगा। फार्म नहीं भरने पर 100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना अदा करना पड़ेगा।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खाद्य पदार्थ निर्माता, रिपेकर व रिलेबलिंग करने वालों के उत्पादन व गुणवत्ता का पता नहीं चल पाता है। सबसे ज्यादा दूध व दूध से बनी वस्तुएं शुद्धता की कसौटी पर खरी नहीं उतरने की शिकायतें सामने आती हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि हालांकि फार्म भरवाने का चलन पहले से था, लेकिन दुकानदार ध्यान नहीं देते थे। ज्यादातर दुकानदार फार्म भरते ही नहीं थे। अब विभाग ने इसको गंभीरता से लिया है। उक्त फार्म नहीं भरने पर प्रतिदिन जुर्माना तो लगेगा। यदि फिर भी दुकानदार फार्म नहीं भरता है तो लाइसेंस निरस्त तक किया जा सकता है।
निर्माताओं के लिए 31 मई
मिठाई एवं खाद् पदार्थ निर्माता, रिपेकर व रिलेबलिंग करने वाले व्यापारियों को फार्म डी 1 साल में एक बार 31 मई तक जमा क रना पड़ेगा। यदि फिर भी दुकानदार फार्म नहीं भरता है तो लाइसेंस निरस्त तक किया जा सकता है। फार्म में उसे सालाना कितना निर्माण, कितने तरह का उत्पादन, कितना आयात व निर्यात व बिक्री भी दर्शानी पड़ेगी। फार्म नहीं भरने पर लाइसेंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन रेगूलेशन 2011 की धारा के तहत प्रतिदिन 100 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। यह जुर्माना 31 मई के बादलिया जाएगा।
साल में दो बार भरना पड़ेगा फाम
दूध व दूध से बनी वस्तुओं को बेचने व बनाने वालों को साल मेंं दो बार फार्म डी 2 भरना पड़ेगा। उसे पहला फार्म 1 अप्रेल से 30 सितम्बर तक का भरकर देना पड़ेगा। यह फार्म नवम्बर में भरकर देना पड़ेगा। दूसरा फार्म 1 अक्टूबर से 31 मार्च तक का भरकर देना पड़ेगा। इसे जमा कराने की तिथि मई माह निर्धारित है। लेकिन व्यापारी इन पर ध्यान नहीं दे रहे थे।