राजस्थान सरकार के इस फैसले से 25 लाख परिवारों को मिलेगा सीधा फायदा
जयपुर। उच्चतम न्यायालय में मध्यप्रदेश की ओर से ईआरसीपी के सम्बन्ध में दायर याचिका का निस्तारण हो जाने के बाद अब संशोधित पार्वती- कालीसिंध- चम्बल लिंक परियोजना के लिए हुए एमओयू को लागू किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
28 जनवरी को एमओयू पर हुए हस्ताक्षर
इस सम्बन्ध में पूर्व में राजस्थान सरकार के ईआरसीपी के प्रस्ताव को नकारते हुए मध्य प्रदेश सरकार की ओर से स्वयं के हितों के संरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दर्ज की गई थी, लेकिन केन्द्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच परियोजना की संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए नई दिल्ली में गत 28 जनवरी को त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए और दोनों राज्यों के बीच में विवाद की स्थिति समाप्त हो गई।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) के एमओयू पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय से बहुप्रतीक्षित ईआरसीपी का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच से फलीभूत हुए इस एमओयू से दोनों ही प्रदेशों को लाभ होगा जिसका सीधा फायदा राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों एवं आमजन को होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के मूर्त रूप लेने के पश्चात पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल उपलब्ध हो सकेगा और सिंचित क्षेत्र में वृद्धि होने से फसल उत्पादन, किसानों की आय और खुशहाली बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि ईआरसीपी के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त राज्य के 2.8 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।