May 20, 2024

राजस्थान सरकार के इस फैसले से 25 लाख परिवारों को मिलेगा सीधा फायदा

जयपुर। उच्चतम न्यायालय में मध्यप्रदेश की ओर से ईआरसीपी के सम्बन्ध में दायर याचिका का निस्तारण हो जाने के बाद अब संशोधित पार्वती- कालीसिंध- चम्बल लिंक परियोजना के लिए हुए एमओयू को लागू किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

28 जनवरी को एमओयू पर हुए हस्ताक्षर
इस सम्बन्ध में पूर्व में राजस्थान सरकार के ईआरसीपी के प्रस्ताव को नकारते हुए मध्य प्रदेश सरकार की ओर से स्वयं के हितों के संरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दर्ज की गई थी, लेकिन केन्द्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच परियोजना की संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए नई दिल्ली में गत 28 जनवरी को त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए और दोनों राज्यों के बीच में विवाद की स्थिति समाप्त हो गई।

भजनलाल शर्मा ने जताई खुशी
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) के एमओयू पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय से बहुप्रतीक्षित ईआरसीपी का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच से फलीभूत हुए इस एमओयू से दोनों ही प्रदेशों को लाभ होगा जिसका सीधा फायदा राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों एवं आमजन को होगा।
ERCP से इतने जिलों को होगा फायदा
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के मूर्त रूप लेने के पश्चात पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल उपलब्ध हो सकेगा और सिंचित क्षेत्र में वृद्धि होने से फसल उत्पादन, किसानों की आय और खुशहाली बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि ईआरसीपी के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त राज्य के 2.8 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
40 प्रतिशत आबादी को मिलेगा पीने का पानीइस परियोजना से 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल एवं राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, भूजल के स्तर में भी वृद्धि होगी। इस परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। ईआरसीपी के तहत आने वाले क्षेत्रों में औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।