May 5, 2024

जयपुर। शहरी निकायों के चुनाव में गैर पार्षद के भी निकाय प्रमुख बनने का हाइब्रिड फार्मूला जस का तस लागू है। गत निकाय चुनावों में तत्कालीन डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने इसको गलत करार देते हुए इसे चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हितों पर कुठाराघात बताया था। पायलट ने इस प्रावधान के औचित्य पर गंभीर सवाल उठाए थे। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि नगर निगम चुनावों में हाइब्रिड फार्मूले का प्रावधान लागू है। धारीवाल ने साफ तौर पर इशारा कर दिया कि इस मसले पर पायलट के विरोध के कोई मायने नहीं है। गत निकाय चुनावों में हाइब्रिड फार्मूले पर पायलट ने विरोध का झंडा उठाया था। उस वक्त झुंझुनू की मंडावा और नागौर की खींवसर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव थे। सचिन पायलट ने झुंझुनू में चुनावी रैली के बाद निगम चुनावों में हाइब्रिड फार्मूले पर तल्ख तेवर दिखाते हुए बयान दिया था। उसके बाद कांग्रेस की अंदरुनी सियासत गरमा गई थी।

जानें क्या है हाइब्रिड फार्मूला
किसी आरक्षित श्रेणी का कोई उम्मीदवार पार्षद नहीं बन पाता है और उसी आरक्षित श्रेणी का निकाय प्रमुख का पद हो तो ऐसी हालत में गैर पार्षद भी निकाय प्रमुख का चुनाव लड़ सकता है। निकाय प्रमुख बने व्यक्ति को सरकार पार्षद मनोनीत कर सकती है। ऐसे में बिना चुने हुए ही निकाय प्रमुख बनने का यह फार्मूला हाइब्रिड फार्मूले के नाम से जाना गया। हालांकि, बिना पार्षद चुने हुए 6 माह ही पद पर रहने का प्रावधान है। निकाय प्रमुख बनने के छह माह के भीतर या तो पार्षद का चुनाव जीतने या फिर सरकार द्वारा पार्षद मनोनीत करना अनिवार्य है। गैर पार्षद को निकाय प्रमुख बनाने के इस प्रावधान का सचिन पायलट ने पुरजोर विरोध किया था।