May 3, 2024

बीकानेर. बरसाती मौसम शुरू होने के साथ ही जिले में मौसमी बीमारियों का प्रकोप गहराने की आशंका प्रबल हो गई है। इधर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग समेत पीबीएम होस्पीटल प्रशासन कोरोना से बचाव और उपचार की मशक्कत में जुटा है। ऐसे में राज्य सरकार ने सरकार ने सभी जिलों के सीएमएचओ से कहा है कि कोविड-19 के साथ-साथ डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू व स्क्रब टायफस की रोकथाम व नियंत्रण जरूरी है। इसे लेकर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं ने आदेश जारी कर सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए- जिले में नियमित सेवाओं के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए, आम लोगों को इस कक्ष का नम्बर दिया जाए। जिला, खंड व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर रेपिड रेंस्पोंस टीम तैयार की जाए। उनके नाम, पता, मोबाइल नम्बर जिला स्तर पर उपलब्ध करवाए जाए। आरआरटी टीम के लिए जरूर दवाइयां, उपकरण व वाहन सुविधा सुनिश्चित की जाए। उच्च जोखिम वाले खंड व क्षेत्रों की पहचान के लिए गत तीन वर्षों से प्रभावित क्षेत्र, मौसमी बीमारी से मृत्यु वाले क्षेत्र व एण्टोमोलोजिकल, सीरो सर्विलेंस के आधार पर जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर सतर्कता रखनी होगी।

यह रखने है बंदोबश्त
मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिये सभी चिकित्सा संस्थानों पर जरूरी दवाइयां जैसे पेरासीटामोल, क्लोरोक्विन, एजिथ्रोमाइसिन, डौक्सीसाइक्लिन, एसीटी किट, टेमी फ्लू, क्लोरीन की गोलियां, ओआरएस, आईवी फ्लुड व जरूरी दवाएं होनी चाहिए। घर-घर सर्वे कार्य के लिए दल बनाने होंगे। नर्सिंग विद्यार्थियों, एएनएम, आशा, महिला आरोग्य समिति व वोलिंटियर्स को सूचना शामिल कर सर्वे के लिए प्रशिक्षित करना होगा। प्रत्येक चिकित्सा संस्थान व घर-घर सर्वे के दौरान एमसीएचएन डे पर लार्वाप्रदर्शन कर लोगों को बीमारियो के प्रति जागरूक करना होगा। स्वाइन फ्लू के संभावित रोगी की पहचान करने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर सभी केन्द्रों पर हो। पानी के नमूनों की जांच के लिए सभी संस्थानों पर क्लोरोस्कोप भी होना जरूरी है। इसके अलावा जिले में एण्टोमोलॉजिस्ट, वीडीबी कंसलटेंट, एपीडेमियोलॉजिस्ट व अन्य द्वारा हाई रिस्क क्षेत्र में वेक्टर, एंटोमलोजिकल, सीरो सर्विलेंस से मिली सूचनाओं के आधार पर गतिविधियां होनी चाहिए। स्थानीय निकाय फोगिंग करवाए। एंटीलार्वल गतिविधियों में टेमीफोस, बीटीआई, एमएलओ, गम्बुसीया की व्यवस्था करनी होगी। निजी चिकित्सकों, चिकित्सालयों को पूरी जानकारी दी जानी होगी। नोटिफाइबल अधिनियम का भी पालन करवाना होगा।