May 19, 2024

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने देश और दुनिया में तहलका मचा रखा है। इस वायरस की मार से देश भी अछूता नहीं है। राज्यों की बात करें तो कोविड-19 को लेकर सबसे बुरी स्थिति महाराष्ट्र की है। लेकिन, राज्य में सियासी सरगर्मी भी तेज हो गई है। एक ओर भाजपा नेता ने जहां राज्यपाल से मुलाकात कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जा रही है वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के घर पर भी एक गुप्त बैठक होने की जानकारी सामने आ रही है। इस बैठक के बाद राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है।
मातोश्री में की गुप्त बैठक
जानकारी के अनुसार सोमवार को बीजेपी नेता नारायण राणे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से उनके आवास पर मुलाकात कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। वहीं, सीएम उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार , शिवसेना के नेता संजय राउत के बीच गुप्त बैठक हुई। इस बैठक के बाद से चर्चाओं का जोर है कि क्या महाविकास अघाड़ी सरकार खतरे में है? , इतना ही नहीं जानकारी में यह भी सामने आ रहा है कि महाराष्ट्र को लेकर केन्द्र कोई बड़ा फैसला लेने की योजना बना रही है।
चर्चा का बाजार इसलिए भी गर्म है कि काफी समय के बाद शरद पवार मातोश्री पहुंचे थे। इन तीनों नेताओं के बीच काफी देर तक बैठक चली। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि राज्य में सरकार खतरे में है। विदित रहे कि इससे पहले शरद पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी। इसे लेकर प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि बैठक में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। लेकिन, कहा जा रहा है कि अगर कोई चर्चा नहीं हुई तो अचानक राज्यपाल ने शरद पवार को क्या बुलाया था?
महाराष्ट्र में सियासी समीकरण बदलने की तैयारी
जानकारी के अनुसार तकरीबन 20 दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस, चंद्रकांत पाटील और गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक अहम बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद बीजेपी नेताओं ने सीएम उद्धव ठाकरे पर जबानी हमला बोल दिया। अंदेशा जताया जा रहा है कि बीजेपी नेता सीएम उद्धव ठाकरे पर मौखिक और सोशल मीडिया के जरिए निशाना साध रहे हैं, उसके पीछे कोई बड़ी रणनीति है। क्योंकि, एक दिन पहले ही रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी उद्धव सरकार पर निशाना साधा था। चर्चा यहां तक चली है कि बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन चाहती है। चाहे वह शिवसेना के साथ दोबारा सत्ता में वापसी करे या फिर बगैर शिवसेना के। लेकिन, अचानक जिस तरह से महाराष्ट्र में सियासी समीकरण बदल रहा है उससे साफ स्पष्ट है कि कोई न कोई खिचड़ी जरूर पक रही है।