May 21, 2024

मेयर के बाद अब पार्षदों की वापसी : जयपुर नगर निगम ग्रेटर के बर्खास्त पार्षदों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत; बर्खास्तगी के आदेश रद्द

जयपुर। जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर के बाद अब बर्खास्त तीन पार्षद भी वापस कुर्सी पर बैठेंगे। इन तीनों पार्षदों को राज्य सरकार ने तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ किए दुर्व्यवहार के मामले में पद से बर्खास्त किया था। इस बर्खास्तगी के आदेशों को आज राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। ऐसे में अब तीनों बर्खास्त पार्षद एक बार फिर पार्षद बनेंगे। हाईकोर्ट जयपुर में आज जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने ये आदेश जारी किया।
पार्षदों की ओर से सीनियर एडवोकेट आर.एन. माथुर सहित एडवोकेट आर.के. डागा व अखिल सिमलोट ने कहा कि मामले में प्रार्थियों को सरकार ने सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया है। सरकार का ऐसा करना प्राकृतिक न्याय के सिद्दांतों का उल्लंघन है। इसी मामले में हाईकोर्ट पहले भी मेयर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने वाले आदेश को रद्द कर चुका है। ऐसे में प्रार्थियों का मामला व तथ्य भी पूर्व के मामले के समान ही हैं। इसलिए उन्हें बर्खास्त करने वाले आदेश को रद्द किया जाए और वापस पद पर बहाल किया जाए। अदालत ने प्रार्थियों की बहस को सुनकर उन्हें बर्खास्त करने वाला आदेश रद्द कर दिया।
आपको बता दें सरकार ने 6 जून 2021 को सबसे पहले इन सभी को निलंबित कर दिया था। इन पार्षदों को तत्कालीन नगर निगम ग्रेटर के कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव के साथ मारपीट, धक्का-मुक्की और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में दोषी मानते हुए निलंबित किया था। इसके बाद सरकार ने इन तीनों ही पार्षदों के साथ मेयर सौम्या गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी थी।

पिछले साल किया था बर्खास्त
स्वायत्त शासन निदेशालय की ओर से पिछले साल 22 अगस्त को आदेशों जारी करके वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा को पद से बर्खास्त किया था। इन तीनों ही पार्षदों को सरकार ने न्यायिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त किया था। सरकार से जारी आदेशों के बाद इन तीनों पार्षदों पर अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया था।

चुनाव पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक
पद से बर्खास्त होने और चुनाव के लिए अयोग्य घोषित होने के बाद इन तीन पार्षदों ने वार्ड में उप चुनाव होने पर रोक लगाने और अयोग्य घोषित किए जाने के आदेशों को निरस्त करने के लिए पिछले साल राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 19 अक्टूबर 2022 को एक आदेश जारी कर उपचुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी थी। साथ ही इस मामले में कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने के लिए का समय दिया था। सरकार ने इन तीनों पार्षदों और मेयर को पद से बर्खास्त करने के बाद निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर खाली हुए वार्डो पर उपचुनाव करवाने के लिए कहा था।

मेयर को दिया था सुनवाई का मौका, चुनाव पर लगाई थी रोक
इससे पहले पिछले साल नवंबर में मेयर सौम्या गुर्जर ने भी हाईकोर्ट में याचिका लगाकर सरकार के बर्खास्तगी के आदेशों को चुनौती दी थी। तब हाईकोर्ट ने सौम्या गुर्जर को राहत देते हुए राज्य सरकार को एक बार दोबारा उनका पक्ष सुनने और मेयर के चुनाव की प्रक्रिया को रोकने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद मेयर के उपचुनावों की मतगणना को रोक दिया था। इसके बाद मेयर ने अपना लिखित में पक्ष स्वायत्त शासन निदेशालय के निदेशक को देने से पहले अपनी बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष रखी थी। सीएम से मिलने के बाद साैम्या गुर्जर के दोबारा बर्खास्त होने की चर्चाओं पर विराम लग गया था।