May 7, 2024

बीकानेर. मानसिक रोग एवं नशामुक्ति विभाग में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आमजन में जागरूकता हेतू गुरूवार को मनाया गया। इस परिपेक्ष में प्रातः 7ः30 बजे एक साइकिल रैली का आयोजन किया गया। इस रैली को प्राचार्य एवं नियंत्रक डाॅ. एस. एस. राठौड, अति. प्राचार्य डाॅ. एल. ए. गौरी एवं डाॅ रंजन माथुर, मनोरोग विभागाध्यक्ष डाॅ. हरफूल सिंह ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।

इससे पहले डाॅ. एस. एस. राठौड ने श्विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवसश् के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 80 प्रतिशत आत्महत्या डिपे्रशन नामक मनोरोग एवम नशे की लत की वजह से होती है।
रैली मेडिकल काॅलेज प्रांगण से शुुरू होकर अम्बेडकर सर्किल, कलेक्टरेट, पब्लिक पार्क, वृद्धजन भ्रमण पथ होते हुए मानसिक रोग एवं नशा मुक्ति विभाग में पूर्ण हुयी तथा रैली के दौरान जगह-जगह आमजन को इस बारे में जागरूक किया गया।

दोपहर को मनोरोग एवं नशा मुक्ति विभाग में आत्महत्या रोकथाम पर परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें मनोरोग विभागाध्यक्ष डाॅ. हरफूल सिंह ने बताया कि विभिन्न मानसिक रोगों की पहचान कैसे कि जाए, जिसमें आत्महत्या के लक्षणांे कि पहचान व आत्महत्या रोकने के बारे में विस्तृत रूप से बताया। भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के अनुसार आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है तथा इसे एक मानसिक रोग अथवा गंभीर अवसाद का परिणाम माना गया है एवं इसका उचित देखरेख एवं मनोचिकित्सक की सलाह से उपचार संभव है।

सह-आचार्य डाॅ. श्री गोपाल ने बताया कि विश्व में प्रति 40 सैकेण्ड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है, जिसको सम्मलित प्रयास से रोका जा सकता है। सहायक आचार्य डाॅ. राकेश कुमार ने विश्व में प्रतिदिन होने वाली आत्महत्या की भयावकत के बारे में व इसके रोकथाम के बारे में बताया।

कनिष्ठ विशेषज्ञ डाॅ. निशान्त चैधरी ने बताया कि आत्महत्या से किस प्रकार एक व्यक्ति नहीं बल्कि पुरा परिवार व समाज भी प्रभावित होता है। सीनियर रेजीडेन्ट डाॅ. देवानन्द ने बताया कि आत्महत्या को प्रयासांे से रोका जा सकता है, जिसमें समाज के प्रत्येक नागरिक को अपना योगदान करना होगा।
क्लीनिकल साॅइकोेलोजिस्ट डाॅ अन्जू ठकराल ने बताया कि महिलाओं में आत्महत्या के प्रति आने वाले विचारांे के कारणों व लक्षणों को किस प्रकार पहचाना जाये व इसका ईलाज संभव है
कार्यक्रम में रेजीडेन्टस डाॅ. प्रीतम, डाॅ लक्ष्मी, डाॅ दिव्या, डाॅ मंजू, डाॅ हरप्रीत, डाॅ. कैलाश, डाॅ राकेश, डाॅ. परनीत, डाॅ. राधेश्याम सहित स्टाफ तथा मानसिक रोगी एवं उनके परिजनों ने हिस्सा लिया।