May 20, 2024

तेजी से बढ़ रहे ‘सेक्सटॉर्शन’ के मामले : एक बार फंसे तो तीन बार लुटेंगे

नई दिल्ली। देश ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की दो लहर देखी हैं। लंबे समय तक ‘वर्क फ्रॉम होम’ चलता रहा है। टीचिंग, ट्रेनिंग, दफ्तर और मनोरंजन, यह सब मोबाइल फोन के कैमरे पर होने लगा। वीडियो कॉलिंग का चलन बढ़ गया। देश में कई जगहों पर सेक्स वर्कर के पास काम नहीं रहा। हैकर्स ने उन्हें अपने साथ लेकर लोगों की ‘सोशल डिजिटल रेपुटेशन’ के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया। एक ‘वीडियो कॉल’ ने मेवात से बंगाल तक हड़कंप मचा दिया। नेता-अभिनेताओं वाली मुंबई की हाई-क्लास सोसायटी हो या ‘दिल वालों की दिल्ली’ यहां के बहुत से लोग ‘वीडियो कॉल’ के जाल में फंस गए। एक बार जो फंसा, तो उसे तीन बार लुटना पड़ा। कोई दो हजार में तो कोई 10 हजार रुपये में इज्जत बचाने के लिए भागता रहा। दिल्ली-एनसीआर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ‘सेक्सटॉर्शन गैंग’ अब एक नए रूप में लोगों के सामने आ रहा है। इस गैंग में मेवात से बंगाल तक के लोग शामिल हैं। देश के प्रमुख साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन और दिल्ली पुलिस साइबर सेल के डीसीपी अन्येश रॉय कहते हैं, देश में ‘सेक्सटॉर्शन’ के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। केवल ‘सावधानी’ ही बचाव है।

एक वीडियो कॉल से कैसे होता है ‘सेक्सटॉर्शन’
विभिन्न राज्यों के पुलिस संगठनों, केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियों में साइबर क्राइम को लेकर विशेष ट्रेनिंग दे रहे साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन कहते हैं, ‘सेक्सटॉर्शन’ जैसे अपराध को अंजाम देने में पांच-छह सेकेंड लगते हैं। इसे ‘सोशल डिजिटल रेपुटेशन’ के नाम से भी जानते हैं। आपके पास वीडियो कॉल आती है, आप उसे अटैंड कर लेते हैं। स्क्रीन पर अश्लील वीडियो या पिक्चर आ जाती है। आपका मुंह, मोबाइल फोन कैमरे के सामने है। आप उसे बंद कर देते हैं। आप निश्चिंत हो गए कि बच गए। मान लेते हैं कि आपने चार सेकंड में ही सिस्टम बंद कर दिया था, लेकिन आपका चेहरा तो उनके पास चला गया। सेक्सटॉर्शन गैंग के सदस्य जिस वक्त आपके पास कॉल करते हैं, वे स्क्रीन रिकॉर्डर चालू कर देते हैं। कई बार यह भी होता है कि कोई व्यक्ति कुछ देर तक उस वीडियो को देख लेता है। दोनों ही स्थितियों में आप फंस गए। कुछ देर बाद आपके पास कॉल होती है। सामने वाला कहता है कि आपका अश्लील वीडियो हमारे पास है। आप अश्लील सामग्री देख रहे हैं, सेक्स वर्कर से चैट कर रहे हैं, फोन पर कुछ ऐसी सूचना मिलती हैं। आप हक्के-बक्के रह जाते हैं। हैकर कहता है कि आपको कुछ नहीं करना है, दस हजार रुपये इस खाते में डाल दें।

लोग शिकायत देने से डरते हैं
डीसीपी अन्येश रॉय के अनुसार, सेक्सटॉर्शन गैंग में कोई युवती नहीं होती है। इस गैंग के सदस्य आकर्षक दिखने वाली किसी युवती का फोटो इस्तेमाल करते हैं। फेसबुक पर नकली प्रोफाइल बनाते हैं। मान लें कि उन्होंने एक हजार लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है तो जाहिर सी बात है कि उनमें से कुछ लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैं। पहले तो गैंग के सदस्य मैसेंजर पर चैट करते हैं। बाद में व्हाट्सएप के मार्फत वीडियो चैट करने लगते हैं। वहां एक अश्लील वीडियो चला देते हैं। अगर ज्यादा निकटता हो गई तो गैंग की तरफ से टारगेट बने व्यक्ति को कपड़े उतारने के लिए उकसाते हैं। चूंकि स्क्रीन रिकॉर्डर तो चालू रहता है, इसलिए वह आदमी ट्रैप हो जाता है। रक्षित टंडन बताते हैं, गैंग के सदस्य जब आपसे बाते करते हैं तो उतनी ही देर में वे आपके सभी फेसबुक फ्रेंड्स का डाटा निकाल लेते हैं। सबसे पहले वे आपकी पत्नी और ससुराल में वह क्लिप भेजने की धमकी देते हैं। यहां पर सारा चक्कर इज्जत का होता है, इसलिए पीड़ित व्यक्ति सौदेबाजी कर लेता है। वह पुलिस या साइबर यूनिट को जानकारी देने से बचता है। नेता, डॉक्टरों के अलावा अब मध्यम वर्ग से जुड़े लोगों को बड़े स्तर पर ‘सेक्सटॉर्शन’ का शिकार बनाया जा रहा है।

एक बार फंसे तो तीन बार लुटेंगे, यह नया ट्रेंड है: डीसीपी रॉय
डीसीपी अन्येश रॉय के मुताबिक, आपत्तिजनक वीडियो बनाने के बाद पैसे ऐंठने का खेल शुरू होता है। अब नया ट्रेंड आ गया है कि एक बार फंसे तो तीन बार लुटना होगा। ‘सेक्सटॉर्शन’ गैंग से आपके पास फोन आएगा। वह कहता है, अगर इतने पैसे नहीं भेजे तो ये वीडियो फेसबुक पर आपके दोस्तों और परिवार के दूसरे सदस्यों के पास फॉरवर्ड कर देंगे। इज्जत बची रहे, यह सोचकर वे पैसा दे देते हैं। इसके बाद उसी गैंग के सदस्य ‘सोशल मीडिया’ प्लेटफॉर्म के नाम से फोन करते हैं। वे कहते हैं कि सोशल मीडिया पर आपकी अश्लील वीडियो चल रही है। आपको जुर्माना देना होगा। पीछा छुड़ाने के लिए पीड़ित व्यक्ति पैसा दे देता है। गैंग से ही तीसरी बार कॉल आती है। इस बार वे पुलिसकर्मी बनकर फोन करते हैं। ट्रू कॉलर के जरिए लोग सामने वाले की पहचान करते हैं, इसके लिए गैंग के सदस्य पहले से ही किसी दरोगा का फोटो वहां लगा देते हैं। वह कहता है कि आपका अपराध माफी लायक नहीं है। केस व गिरफ्तारी, ये सब होगा। पीड़ित व्यक्ति डर जाता है। यहां भी वह पैसे देकर सांप को अपने गले से निकालने का प्रयास करता है।
मेवात से लेकर बंगाल तक सक्रिय है यह गैंग…
वैसे तो यह गैंग तकरीबन हर राज्य में सक्रिय होता जा रहा है। पिछले दिनों मुंबई साइबर सेल ने भी ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था। सेक्सटॉर्शन के जाल में दर्जनों फिल्म और टीवी कलाकार फंस चुके थे। पांच आरोपियों में दो इंजीनियर, दो साइंस ग्रेजुएट हैं और एक नाबालिग था। गिरोह ने 250 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया था। इनमें बॉलीवुड से जुड़े हुए लोग भी शामिल हैं। डीसीपी रॉय कहते हैं, अधिकांश गैंग मेवात इलाके में सक्रिय हैं। मेवाती गैंग के कई सदस्यों को दिल्ली साइबर सेल पहले भी पकड़ चुकी है। झारखंड सीआईडी के अलर्ट पर दिल्ली पुलिस ने 11 आरोपी राजस्थान से पकड़े थे। मध्यप्रदेश पुलिस ने एक विधायक को धमकी देने वाले इस गैंग के सदस्य को गिरफ्तार किया था। पटना, चेन्नई, यूपी, उड़ीसा, तमिलनाड़ु और दूसरे राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन कहते हैं, लॉकडाउन के दौरान जो सेक्स वर्कर खाली बैठी थीं, उन्हें पांच सौ से एक हजार रुपये देकर चैट के असली केरेक्टर के तौर पर हायर कर लिया था। वह सेक्सवर्कर सामने को उकसा कर गलत काम करा देती थीं। एक रिपोर्ट में छपा था कि अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान गूगल पर अश्लील सामग्री देखने का ट्रैफ़िक 95 फीसदी बढ़ गया था।
यह है बचाव का तरीका, गैंग को न दें पैसे
साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन कहते हैं, अनजान लोगों की वीडियो कॉल रिसीव न करें। फेसबुक पर आने वाले लाइव चैटिंग के विज्ञापन पर क्लिक न करें। अंजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट से दूर रहें। अगर आप वीडियो कॉल उठा रहे हैं तो कैमरे पर अंगूठा रख लें। नहीं तो कैमरे को दीवार या छत की तरफ रख कर बात करते रहें। तब तक आपको पता चल जाएगा कि वह कौन है। लोगों के लिए तकनीक को समझना जरूरी है। अगर गलती हो गई है तो कुछ समय तक सोशल मीडिया साइट ब्लॉक कर दें। पैसे बिल्कुल न दें। साइबर सेल में तुरंत शिकायत दर्ज करा दें। यदि कोई व्यक्ति बिना वजह से आपके करीब आने का प्रयास करता है तो सावधान हो जाएं। इज्जत बचाने के चक्कर में पीड़ित व्यक्ति मानसिक और आर्थिक, दोनों तरफ से नुकसान खाता है। मुंबई में जो गैंग पकड़ा गया था, वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लड़कियों के रूप में फर्जी अकाउंट बनाते थे।
पुरुषों को लुभाते थे। कई बार तो सामने वाले का भरोसा जीतने में एक साल लग जाता था। आरोपियों से पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ था। भरोसा जीतने के बाद जब कपड़े निकालने के लिए कहा जाता तो स्क्रीनशॉट ले लेते थे। उसके बाद ब्लैकमेलिंग शुरू करते थे।