May 20, 2024

8 नवंबर को जिंदगी में बड़ी उथल-पुथल मचाएगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानें शांति उपाय
बीकानेर। 15 दिनों के अंतराल पर अब दूसरा ग्रहण लगने जा रहा है। 08 नवंबर 2022 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा, जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य रहेगा। सूतक चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं. सुनील पुरोहित के अनुसार, सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य और पूजा-पाठ करने की मनाही होती है। यह चंद्र ग्रहण दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम 06 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। ग्रहण का मध्य सायकाल 4: 29 मिनट ग्रहण के दौरान कई तरह की विशेष सावधानियां बरती जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, ग्रहण के बाद दान-पुण्य,स्नान और अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

कहां-कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे अमेरिका में साफ-साफ देखा जा सकेगा. राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात सहित सम्पूर्ण दक्षिण भारत में यह चंद्र ग्रहण कुछ इलाकों में पूर्ण तो वहीं कुछ जगहों पर आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। इसके अलावा यह चंद्र ग्रहण उत्तर-पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद आदि।

ज्योतिषाचार्य पं. सुनील पुरोहित के अनुसार, 08 नवंबर को सूतक काल सुबह 6:45 सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाएगा। धार्मिक जनों को सूतक प्रारम्भ हो जाने के बाद बच्चों वृद्ध और रोगियों को छोड़कर भोजन आदि नहीं करना चाहिए।

ग्रहण का राशिफल
यह ग्रहण भरणी और मेष राशि में घटित हो रहा है। इसलिए इस नक्षत्र और राशि में जन्मे व्यक्तियों के लिए विशेष कष्टप्रद रहेगा। जिन राशियों पर ग्रहण का अशुभ फल को टालने के लिए यथा शक्ति दान, जप, पाठ, अनुष्ठान करना चाहिए-
मेष – दुर्घटना भय
वृषभ – धन हानि
मिथुन – उन्नति और लाभ
कर्क – सुख वैभव
सिंह – मानहानि भय
कन्या – शरीर कष्ट
तुला – दाम्पत्य कष्ट
वृश्चिक – कार्य सिद्धि
धनु – चिंता पीड़ा
मकर – रोग भय
कुंभ – धन लाभ
मीन – व्यय वृद्धि

ग्रहण का अन्य फल
ज्योतिषाचार्य पं. सुनील पुरोहित के अनुसार, कार्तिक मास मंगलवार को चंद ग्रहण होने से लूटपाट, चोरी अग्निकांड की घटनाएं बढ़ेंगी और शीतकालीन फ़सलों में रोग प्रकोप बढ़ेगा। राजनेताओं में खींचतान बढ़ेगी। ग्रहण के समय चन्द्र, राहु का सूर्य – बुद्ध शुक्र केतु से सम सप्तक योग बनने से प्राकृतिक प्रकोप से जन धन की हानि तथा धातु और रस पदार्थों में तेजी होगी।