May 2, 2024

बीकानेर. स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत ‘कृषि क्षेत्र में बौद्धिक सम्पदा अधिकार’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार शुक्रवार को आयोजित हुई।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह थे। उन्होंने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानव बुद्धि की उपज है। नए आविष्कारों के मानव उपयोगी परिणामों व उत्पादों की रक्षा के लिए दुनिया के देशों ने सदियों से अपने-अपने कानून बनाकर इन्हें सुरक्षित करते चले आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में आठ अधिनियमों के तहत बौद्धिक सम्पदा अधिकार सुरक्षित किए गए हैं। इनमें काॅपीराइट एक्ट, डिजाइन एक्ट, ट्रेडमार्क एक्ट, पेंटेंट्स एक्ट आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि आज का युग ज्ञान आधारित युग है। इस युग में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के प्रति जागरुक होना और इन्हें मानव और कृषि कल्याण में प्रयोग करना जरूरी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (शिक्षा) ने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार ने कहा कि खेत की बिजाई से लेकर फसल कटाई और खाद्य प्रसंस्करण तक अनेक तरह की बौद्धिक सम्पदाओं का प्रयोग होता है। श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. एस. संधू ने प्रजनक अनुसंधान एवं किसानों के अधिकारों के बारे में बताया तथा इस प्रणाली से किसानों को होने वाले फायदों की जानकारी दी।
डाॅ. टी. के. नागारला ने नवीन किस्मों की पेटेंटिंग प्रक्रिया के बारे में अवगत करवाया। पंकज बोर्कर ने काॅपी राइट और ट्रेडमार्क के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि किसी वस्तु के प्रसिद्धि प्राप्त होने पर वस्तु को भौगोलिक सूचकांक के तहत शामिल किया जाता है। डाॅ. पी. एन माथुर, डाॅ. संजीव सक्सेना एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी खेमराज ने भी अपने विचार रखे।
आयोजन प्रभारी डाॅ. एन. के. शर्मा ने बताया कि वेबिनार के लिए 3 हजार 500 से अधिक पंजीकरण हुए। उन्होंने आभार व्यक्त किया। इस दौरान प्रो. ए. के. शर्मा, डाॅ. अरविंद झांझड़िया आदि मौजूद रहे।