May 7, 2024

कांग्रेस सम्मेलनों में गैर-हाजिर रहे विधायकों को नोटिस देंगे रंधावा? : जयपुर-अजमेर सम्मेलन में पायलट-रघु शर्मा समेत आधे विधायक थे अनुपस्थित

जयपुर। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर (कश्मीर) में पूरी हुई। राजस्थान से जब यह यात्रा गुजर रही थी तब कांग्रेस के सबसे बड़े अभियान- हाथ से हाथ जोड़ो- की शुरुआत हुई। लेकिन 26 जनवरी से शुरू हुए इस अभियान को राजस्थान में ही कांग्रेस विधायक और बड़े नेता तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
कांग्रेस सरकार और पार्टी 10 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। लेकिन राहुल गांधी का यह अभियान प्रदेश में रस्म अदायगी बनकर रह गया है।
जयपुर (संभाग) में 29 जनवरी और अजमेर (संभाग) में 27 जनवरी को कांग्रेस के सम्मेलन हुए। इन दोनों सम्मेलनों में पार्टी के कई बड़े नेता शामिल नहीं हुए। दोनों जगहों पर कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने नसीहतें तो खूब दीं, लेकिन नेताओं पर फिलहाल कोई असर होता नहीं दिख रहा।
अब आगे 5 सम्मेलन सीएम अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर सहित उदयपुर, बीकानेर, कोटा व भरतपुर संभाग में भी होने वाले हैं।
जयपुर संभाग में जयपुर, सीकर, झुन्झुनूं, दौसा, अलवर के करीब 35 विधायक आते हैं। लेकिन जयपुर में 29 जनवरी को हुए सम्मेलन में केवल 15 विधायक ही शामिल हुए। 20 विधायक गैर हाजिर रहे। उधर 27 जनवरी को अजमेर संभाग में हुए सम्मेलन में भी लगभग आधे विधायक शामिल हुए। इस संभाग में टोंक से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और केकड़ी से पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा विधायक हैं, लेकिन वे दोनों अजमेर सम्मेलन में नहीं आए।
बड़ी बात ये है कि 27 और 29 जनवरी को जब कांग्रेस सम्मेलन हुए तब सचिन पायलट और रघु शर्मा राजस्थान में ही थे, उस वक्त विधानसभा भी नहीं चल रही थी। ऐसे में दोनों बड़े नेताओं का सम्मेलन में शामिल न होना अनुशासनहीनता की ओर इशारा करता है।
कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सोमवार को बताया कि दोनों सम्मेलनों में हमने कहा कि कोई नेता खुद को संगठन से बड़ा न समझे। आगे भी जिन संभाग मुख्यालयों पर सम्मेलन होने हैं, उनमें सभी को गंभीरता से भाग लेने को कहा जा रहा है।
जयपुर और अजमेर के सम्मेलनों में जो विधायक या पदाधिकारी शामिल नहीं हुए उनसे कारण बताने को कह दिया गया है। इसके लिए बाकायदा गैर हाजिर रहे सदस्यों को मैसेज भेजा गया है। रंघावा ने कहा कि अगर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का कोई वाजिब कारण हमें मिला तो ठीक है, अन्यथा ऐसे नेताओं को नोटिस दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा- हाथ से हाथ जोड़ो सबसे महत्वपूर्ण अभियान है। इसे गंभीरता से न लेना अपने आप में अनुशासनहीनता ही है।

इन सम्मेलनों में ये शिकायतें आईं थीं सामने
मंत्री कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं वरिष्ठ पदाधिकारियों और विधायकों तक के लिए जयपुर में अपने सरकारी बंगलों के दरवाजे बंद रखते हैं (रामस्वरूप चौधरी-पूर्व जिला प्रमुख अजमेर ने उठाया यह मामला)
तीन साल से ज्यादा समय बीत गया, अब तक संगठनों में नीचे तक नियुक्तियां ही नहीं हुईं, ऐसे में संगठन चुनाव तक कैसे मजबूत होगा (हरीश मीना, विधायक-देवली उनियारा ने कही यह बात)
सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच मनमुटाव है, जो अब तक खत्म नहीं हुआ है (रामनारायण गुर्जर पूर्व विधायक नसीराबाद ने की यह शिकायत)
मंत्री या जिलों के प्रभारी मंत्री जब जिलों में जाते हैं, तो वे केवल पुलिस-प्रशासन को ही सूचना देते हैं। सर्किट हाउस या कलेक्ट्रेट में मीटिंग कर लेते हैं, लेकिन स्थानीय पार्टी संगठन और पदाधिकारियों को कोई सूचना नहीं देते (विजय जैन, निवर्तमान जिला अध्यक्ष अजमेर ने उठाया यह मुद्दा)
टॉप टू बॉटम संगठन खाली पड़ा है। जब संगठन ही नहीं है, तो फिर फील्ड में कांग्रेस कैसे मजबूत हो सकती है। सरकार की योजनाओं को फील्ड तक कैसे पहुंचाएंगे (पूर्व विधायक सज्जन कुमार सूरजगढ़ ने की यह शिकायत)

रंधावा की धमक अभी तक जमी नहीं
राजस्थान में कांग्रेस के दो पूर्व राष्ट्रीय प्रभारी अविनाश पांडे और अजय माकन पार्टी में गुटबाजी और अनुशासनहीनता दूर नहीं कर पाए थे। माकन तो गुटबाजी और कथित अनुशासनहीनता करने वाले मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के चलते पद ही छोड़ गए।
तीनों नेताओं के खिलाफ अब तक भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि पार्टी ने कोई कार्रवाई की है या नहीं। राजस्थान प्रभारी के पद पर सुखजिंदर सिंह रंधावा की नियुक्ति 6 दिसंबर 2022 को हुई थी, दो महीने के बाद कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि उनके नाम की धमक अभी तक जम नहीं पाई है।
हाथ से हाथ जोड़ो अभियान में रंधावा के साथ प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी थे, इसके बावजूद बड़ी संख्या में विधायकों का नहीं आना यह बताता है कि उन्हें किसी का डर नहीं है।