May 20, 2024

पीएफआई पर बैन से उपद्रव की आशंका : राजस्थान इंटेलिजेंस ने कलेक्टर-एसपी को किया अलर्ट, कहा- अतिरिक्त फोर्स तैनात लगाए

जयपुर। केन्द्र सरकार के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बैन के बाद राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है। पुलिस ने राज्य के कलेक्टर-SP को सतर्क रहने के आदेश दिए हैं। PFI पर बैन के बाद उपद्रव की आशंका लेकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
राजस्थान इंटेलिजेंस के अफसरों ने बताया- केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को अवैध गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत PFI, उसके सहयोगियों, मोर्चों को ‘गैर कानूनी संघ’ घोषित करने के बाद अलर्ट जारी किया गया है। इसके बाद हमने सभी जिला कलेक्टर-SP को PFI पर रोक लगाने के बारे में सतर्क रहने का निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 22 सितंबर को जयपुर में PFI कार्यालय और कोटा व बारां जिलों में संगठन से जुड़े लोगों के आवास और ठिकानों की तलाशी ली थी। उसी दिन दो लोगों को NIA ने गिरफ्तार भी किया था। जयपुर में NIA की टीमों ने मोतीडूंगरी रोड स्थित PFI के दफ्तर में छापेमारी कर दस्तावेज व डिजिटल सबूत जब्त किए थे।

बिल्डिंग और जमीन को लेकर होगा सर्च
PFI पर बैन करने के बाद एक रिपोर्ट राज्य सरकार को केन्द्र को देनी है। जिसमें जमीन और बिल्डिंग को लेकर बताना होगा कि ये जगह PFI को किसने दी और कब से दी । संभवत: केन्द्र सरकार जमीन और बिल्डिंग को लेकर भी कोई कार्रवाई कर सकती है। निगम और नगर परिषद से इसकी जानकारी मांगी जा रही है।

राजस्थान के 3 शहरों में हुई थी छापेमारी
PFI के जयपुर, कोटा, बारां में ऑफिस और ठिकानों पर NIA, ईडी और पुलिस ने 22 सितंबर को रेड मारी थी। जयपुर के मोतीडूंगरी रोड पर PFI ऑफिस पर रेड के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय PFI कार्यकर्ता विरोध में उतर आए थे। PFI के झंडे लहराए गए थे। बाद में बैनर के साथ NIA की कार्रवाई का विरोध किया गया। कोटा और बारां से 2 गिरफ्तारी भी हुई थी।

कन्हैयालाल हत्याकांड में भी सामने आया नाम
NIA ने कोटा और बारां से संदिग्धों को हिरासत में लिया था। बारां से सादिक हुसैन नाम के शख्स को हिरासत में लिया गया था। सादिक हुसैन SDPI का जिला सचिव है। उससे पूछताछ हुई, तो अजमेर के ब्यावर और सरवाड़ में बड़े नेटवर्क का पता चला था। उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड में PFI के शामिल होने की बात भी सामने आई थी।

सरकार ने बताई बैन लगाने की वजह

PFI और इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा है।
इन संगठनों की गतिविधियां देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती है।
PFI और इससे जुड़े संगठन देश में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।
केंद्र सरकार UAPA के तहत 5 साल का प्रतिबंध लगा रही है। ये कदम एजेंसियों की जांच के बाद उठाया जा रहा है।
एजेंसियों का कहना है कि PFI के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स SIMI के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। ये दोनों प्रतिबंधित संगठन है।
ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनसे ये साफ होता है कि PFI के संबंध ISIS से है। PFI के कुछ सदस्यों ने इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन जॉइन किए। ये संगठन चुपके-चुपके देश के एक तबके में यह भावना जगा रहे थे कि देश में असुरक्षा है। इसके जरिए वो कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था।
क्रिमिनल और टेरर केस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक समर्थन के चलते यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है।
PFI ने अपने सहयोगी और फ्रंट बनाए। इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। इसके पीछे PFI का एकमात्र लक्ष्य अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना था।

PFI से जुड़े इन संगठनों पर भी रोक
1. रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
2. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
3. ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
4. नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
5. नेशनल विमेन्स फ्रंट
6. जूनियर फ्रंट
7. एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
8. रिहैब फाउंडेशन