April 30, 2024

बीकानेर. बीकानेर जिले में कोरोना से जंग जीतने में सरकार और प्रशासन तो अपने स्तर पर सभी प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं आज का युवा भी कोरोना से लडऩे में सहयोग कर रहा है। वह शिक्षा के विकास और सामाजिक कुरीतियों को मिटाने में भी पूरी क्षमता के साथ लगा है। राज्य सरकार ने कोरोना काल के चलते शादी में 50 लोगों की अनुमति दे रखी है। सरकार की एडवाइजरी की पालना करते हुए 50 से अधिक लोग भी शादी में नहीं ले जा रहे हैं और अन्य खर्चे भी जैसे टेंट लगाने, रंगीन रोशनी करने जैसे कार्य भी युवा नहीं कर रहें है। इन खर्चों पर बची राशि का उपयोग शिक्षा के विकास के लिए खर्च कर बीकानेर के इंजीनियर नरेश कड़ेला और उनके परिजनों ने ऐसी ही मिसाल कायम की है। बीकानेर निवासी प्रधानाध्यापक मोडाराम कड़ेला के पुत्र नरेश कड़ेला की हाल ही में शादी सम्पन्न हुई थी। मोडाराम कड़ेला ने अपने बड़े बेटे नरेश की शादी कोरोना काल से पूर्व में ही तय कर दी थी। जब शादी का मुहूर्त निकला तब तक सबकुछ ठीक था। कहते हैं ना कि होता वही है, जो नसीब में लिखा है। मुहूर्त पर ही शादी तय थी, लेकिन इस दौरान कोरोना महामारी को लेकर,राज्य सरकार ने शादी सहित अन्य सामाजिक कार्यों पर बहुत से नियम-कायदे लागू कर दिए। पूरे परिवार ने शादी में 50 लोगों के शामिल होने के नियमों की अनुपालना करते हुए यह दृढ़ निश्चय किया अब हम भी कोरोना को हराने में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करेंगे।

भव्य तरीके से शादी करने पर जो खर्चा होता, वह नहीं हुआ। शादी में जो पैसा बचा था, उसे समाज हित में खर्च करने का दोनों ही परिवार (वर-वधु पक्ष) ने निर्णय लेते हुए बची हुई राशि में से जिला प्रशासन को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध करवाएं। साथ ही गरीब छात्रों के पढऩे के लिए पशु चिकित्सालय एवं पशुविज्ञान विश्व विद्यालय, बीकानेर के पास स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रावास में भवन निर्माण के लिए दिये जाएंगे ताकि आने वाले समय में लोग सामाजिक उत्थान करने को प्रेरित होंगे। साथ ही कोरोना काल में भी जो अन्य लोग शादी अथवा अन्य सामाजिक समारोह कर रहे हैं, उनके लिए भी एक संदेश होगा। मोडाराम बताते हैं कि अपने इस विचार को अमलीजामा पहनाते हुए 21 बाराती तथा वधू पक्ष के 21 लोगों के अलावा किसी को भी शादी के दिन आमंत्रित नहीं किया। जब शादी हो गई तो वर-वधू पक्ष ने 3 लाख 51 हजार रूपये डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रावास में विभिन्न निर्माण के लिए दिए। साथ ही दोनों परिवारों ने सैनिटाइजर और मास्क का वितरण कर, सामाजिक दायित्वों का निर्वहन किया। इस तरह कोरोना से लड़ते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों के विकास के लिए धनराशि व्यय की गई। शादी के बाद इंजीनियर नरेश कड़ेला और कौशल दोनों ही इस बात को लेकर बहुत खुश है कि उन्होंने राज्य सरकार की एडवाईजरी की पालना करते हुए विवाह के व्यय से बची राशि को शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया। परिजनों का कहना था कि कोरोना चाहे समाप्त हो जाए, मगर इससे हमने यह सीख ली है कि भविष्य में जब हमारे परिवार में शादियां होगी तो 21 आदमी से अधिक नहीं ले जाएंगे और बची हुई राशि का प्रयोग समाज के विकास कार्यों के लिए किया जाएगा।