May 20, 2024

मुकेश पूनियां
बीकानेर। सट्टेबाजी का प्रमुख केन्द्र बन चुके बीकानेर में पर्ची सट्टे पर हर रोज पांच करोड़ से ज्यादा का काला कारोबार होता है। पुख्ता खबर है कि शहर से लेकर गांवों कस्बों तक दस्तक दे चुके पर्ची सट्टे के इस कारोबार की कमान भी बीकानेर में उन्ही बुकियों ने संभाल रखी है जो क्रिकेट सट्टेबाजी के नामी किंग है। इनमें फिलहाल संतोष सुसवाणी,हरीश चांडक,नरेश पुगलियां,लाला दम्माणी के नाम प्रमुखता से सामने आये है,जिन्होने प्रमुख बाजारों से लेकर गली-मौहल्लों में पान के खोखों,चाय की स्टालों,हेयर सेलून और परचून की दुकानों से लेकर अनेक सार्वजनिक स्थलों पर पर्ची सट्टा लिखने वाले ऐजेंट बैठा रखे है। युवाओं और नई पीढी के किशोरों को मोटी कमाई के जाल में फंसाकर बड़े पैमाने पर चल रहा पर्ची सट्टे का यह काला कारोबार अब हाईटेक हो चुका है कि सट्टेबाजी के सरगना यहां लैपटॅाप, स्मार्ट फोन और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर एसी कमरों में बैठे धंधे को आगे बढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं व्हाट्सएप और सोशल साइट्स का भी प्रयोग किया जा रहा है। यहां मोबाइल और विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से भी करोड़ो के दाव लगाये जा रहे है। बीकानेर शहर के हर थाना इलाके में चल रहे पर्ची सट्टे के इस कारोबार को लेकर आमजन में धारणा बन चुकी है कि यह कारोबार पुलिस संरक्षण में ही फलफूल रहा है,हालांकि पुलिस कभी कभार मुहिम चलाकर छूटभईये पर्ची सट्टोरियों की धरपकड़ करती है लेकिन इस कारोबार की कमान संभाले बैठे बड़े बुकियों पर हाथ नहीं डाल रही है। वहीं अपराध जगत से जुड़े सूत्रों की मानें तो पर्ची सट्टे का कारोबार यहां पुलिस के लिये ऊपरी कमाई का प्रमुख जरियां होने के कारण पुलिस इसकी प्रभावी रोकथाम के लिये कदम नहीं उठाती।
सब जगह चलता है खुलेआम
पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार बीकानेर में खुलेआम संचालित किया जा रहा है। पुलिस और सटोरिया की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये सटोरिया अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर इस कारोबार के सरगनों तक क्यों नहीं पहुंच पाती।
देखकर भी अनदेखी
खास बात यह है कि जिस जगह सट्टे की पर्ची कटती है। वहीं से पुलिस की आवाजाही की बनी रहती है , लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस की नजर इस काले कारोबार की तरफ नहीं पड़ती, या यूं कहें कि पुलिस इनकी तरफ नजर घुमाना ही नहीं चाहती। क्योंकि इन पर्ची सट्टा कारोबार के सरगनों ने पहले ही पुलिस को सेट कर रखा है,इससे पुलिस की छबि भी धूमिल हो रही है।
नशे से कम नहीं सट्टेबाजी की लत
जानकारों के अनुसार पर्ची सट्टे की लत किसी नशे से कम नहीं है,इसके चलते पर्ची सट्टोरियेां के ठिकानेां पर सुबह से लेकर देर रात तक लगाईवालों का जमावड़ा रहता है। इनमें दिहाड़ी मजदूर,ऑटो चालक,कॉलेजी छात्र,नशेबाज वर्ग के लोग ज्यादा होते है जो मोटी कमाई के लालच में दाव लगाकर कंगाल हो रहे हैं। संचालक सट्टे में पैसा लगाने वालों को एक कागज की पर्ची में नंबर लिखकर थमा देते हैं। ड्रा होने के बाद उसी आधार पर भुगतान होता हैं। पर्ची के नंबर ऑन प्रसारित होते है और दिनभर में कल्याण,मधुर,टाईम बाजार,मिलन डे,तारा मुम्बई डे,मुम्बई राजश्री डे,मिनाश्री डे,रॉयल डे,अपना डे,मिलन डे,राजधानी डे समेत अलग-अलग नामों से करीब दर्जन भर लॉटरियों के नंबरों पर दस-बीस से लेकर पांच-पांच हजार तक के दाव लगते है। दस से नब्बे कमाने के चक्कर में सौ-दो सौ रुपये रोज कमाने वाले अक्सर अपना रूपया सट्टा में गंवा देते हैं लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं आता।