May 16, 2024

कांग्रेस का सियासी संग्रामः एक माह बाद भी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर नहीं हुआ फैसला, विधायकों में बढ़ी बैचेनी

जयपुर। बीते 25 सितंबर को सियासी संग्राम के दौरान अशोक गहलोत के समर्थन में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफा देने वाले 92 विधायकों पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया, जबकि इस्तीफा दिए 1 माह से ज्यादा का समय बीत चुका है।
विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, न तो विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए गए हैं और न ही अस्वीकार किए गए हैं जबकि प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के एक डेलीगेशन ने भी विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से मुलाकात करके कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर जल्द से जल्द फैसला लेने की मांग की थी, जिससे कि वस्तुस्थिति जनता के सामने आए।
ऐसे में इस्तीफा दे चुके विधायकों में भी बेचैनी बढ़ी हुई है। इधर कांग्रेस के सियासी गलियारों में भी इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस के 92 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के पास हैं लेकिन इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है, चर्चा यह भी है कि विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को अपनी स्थिति साफ करनी करनी चाहिए कि वो इस मामले में क्या फैसला ले रहे हैं।

अल्पमत में है गहलोत सरकार
राजनीतिक प्रेक्षकों माने तो कांग्रेस के 92 विधायकों की ओर से अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंपे जाने के बाद राज्य की गहलोत सरकार अल्पमत में है, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी कह चुके हैं कि अगर कोई विधायक अपनी स्वेच्छा से अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को सौंपता है तो उसका इस्तीफा स्वतः ही स्वीकार हो जाता है।

भाजपा अब वेट एंड वॉच की स्थिति में
प्रदेश भाजपा की ओर से स्पीकर सीपी जोशी से कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर कोई फैसला लेने की मांग करने के बाद अब भाजपा वेट एंड वॉच की स्थिति में है। चर्चा है कि प्रदेश भाजपा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के फैसले का इंतजार कर रही है और उसके बाद ही आगे की रणनीति तय होगी। बताया जा रहा है कि अगर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी अब जल्द ही इस पर कोई फैसला नहीं लेते हैं तो फिर बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इस मामले में राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात करके हस्तक्षेप की मांग करेगा।

इस्तीफा दे चुके विधायकों में बेचैनी
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में इस्तीफा देने वाले विधायकों के मन में भी अब बेचैनी बनी हुई है कि जिस तरह से लगातार बीजेपी और अन्य दल विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से इस्तीफे स्वीकार करने की मांग पर अड़े हुए हैं ऐसे में इस्तीफा दे चुके विधायकों को लगता है कि अगर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो फिर उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

पहले भी कई विधायकों ने दिए थे इस्तीफे
ऐसा पहली बार नहीं है जब 15 वीं विधानसभा में 92 विधायकों ने अपने इस्तीफे स्पीकर के सौंपे हों, इससे पहले भी अपने क्षेत्र में काम नहीं होने से नाराज होकर वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा भेज दिया था। हालांकि तब भी इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं हो पाया था।
कांग्रेस विधायक गणेश घोगरा ने भी नाराज होकर अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को भेज दिया था। वहीं अगस्त माह में जालौर में दलित बच्चे के साथ हुई घटना के विरोध में कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने भी अपना विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को भेज दिया था लेकिन उस पर भी आज तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।

बीजेपी ने सरकारी सुविधाओं पर उठाए थे सवाल
कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों की ओर से विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफा सौंपने के बावजूद सरकारी बंगले, सरकारी गाड़ियों, सरकारी सुख-सुविधाओं को लेकर बीजेपी ने सवाल खड़े किए थे। बीजेपी नेताओं का कहना था कि जब मंत्रियों ने इस्तीफे दे दिए हैं तो फिर वो किस हैसियत से सरकारी सुख सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।

समानांतर चलाई थी गलत कैंप ने विधायक दल की बैठक
बीते 25 सितंबर को मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने और नाम रायशुमारी के लिए प्रदेश प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए गहलोत गुट के विधायकों और मंत्रियों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिसमें 90 से ज्यादा विधायक शामिल हुए थे।
इन विधायकों ने बाद में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर जाकर अपना इस्तीफा सीपी जोशी को सौंप दिया था। समानांतर बैठक बुलाए जाने से नाराज होकर पार्टी आलाकमान ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल मुख्य सचेतक महेश जोशी और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।