May 5, 2024

नापासर में गमगीन माहौल में सगी बहनों की विदाई, कस्बे में छाई मायूसी
बीकानेर। नापासर कस्बे आज हर तरफ मायूसी छाई हुई है। दूर तक हर कोई सरस्वती और सरीता की बात कर रहे हैं। कस्बे के खेल मैदान पर दोनों बहनें फिटनेस बनाने के लिए हर रोज चक्कर काटती थी। आज इसी मैदान के पास से दोनों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। बीकानेर से करीब तीस किलोमीटर दूर इस कस्बे में दो सगी बहनों ने मंगलवार की शाम फांसी लगाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया था। गोपाल छींपा की बेटियों में एक ने कमरे में पंखें से और दूसरी ने बरामदें में लगे हुक से फांसी लगा ली। माना जा रहा है कि किसी बात पर परिजनों ने ही उन्हें डांट दिया था। ये अंदेशा नहीं था कि वो इस पर इतनी ज्यादा इमोशनल हो जायेगी कि फांसी ही लगा लेगी। गोपाल और उसकी पत्नी दोनों काम करते हैं, मंगलवार को भी दोनों काम पर ही गए हुए थे। इस दौरान किसी शिकायत पर सरीता को डांटा गया था। इस पर सरीता और सरस्वती दोनों ने सुसाइड कर लिया। आशंका जताई जा रही थी कि पिता इस मामले में किसी के खिलाफ एफआईआर करा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नापासर थानाधिकारी जगदीश पांडर ने बताया कि परिजनों ने किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। उनका मानना है कि सामान्य डांट डपट को बच्चे सहन नहीं कर सके। इसलिए ऐसा कदम उठा लिया। बाद में उनकी पिता की रिपोर्ट पर मर्ग दर्ज की गई। दोनों बहनों का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया गया। फिर शव परिजनों को सौंप दिया गया। घटना के बाद से गांव में काफी शोक का माहौल रहा। छींपा के घर के आसपास की दुकानें बंद रही। मुख्य बाजार में भी खास चहल पहल नहीं थी। दोपहर तक अंतिम संस्कार के लिए बच्चियों को श्मसान घाट ले जाया गया था। जहां बड़ी संख्या में छींपा के परिजनों के साथ ग्रामीण एकत्र हुए। घर वालों का रो रोकर बुरा हाल था। खासकर मां और बड़ी बहन की हालत खराब थी। पिता गोपाल स्वयं कभी इधर तो कभी उधर देख रहे थे।
तीन बहनें और एक भाई थे
गोपाल छीपां के तीन बेटियां और एक बेटा है। इनमें दो बेटियों ने कल सुसाइड कर लिया तो अब एक बेटा और एक बेटी रह गए। चारों बच्चों में आपस में काफी स्नेह था। बेटा सबसे छोटा होने के कारण बहनों के लिए लाडला था।