April 28, 2024

आज के समय में वास्तु का प्रचलन लोगों में काफी लोकप्रिय हो चुका है। ऐसा माना जाता है कि वास्तु के हिसाब से अगर घर में चीज़ें हो तो घर में कभी भी नकरात्मकता नहीं फैलती है। क्योंकि वास्तु केवल दिशाओं के लिए ही नहीं बल्कि हर किसी चीज़ को लेकर ही वास्तु को अपनान बेहद जरूरी है। इसी तरह आज हम आपके घर से जुड़े कुछ ऐसे वास्तु के नियम लेकर आएं हैं जिन्हें अपनाकर आप घर से नकरात्मक ऊर्जा को बाहर कर सकते हैं। कहते हैं कि इंसान के रहने के लिए घर जितना जरूरी होता है, उससे भी ज्यादा जरूरी है उस घर का वास्तु दोष से मुक्त होना है। वास्तु के अनुरूप बना घर शुभ फल देने वाला होता है। इसके विपरीत वास्तु दोष स्वास्थ्य का नाश कर रोग उत्पन्न करते हैं। यही रोग व्यक्ति के रोजगार को प्रभावित करते हैं और इसके साथ ही व्यक्ति का धन भी बर्बाद हो जाता है। वहीं बताया गया है कि रसोई घर का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि व्यक्ति के लिए जहां खाना बनता हो वह स्थान बहुत महत्व रखता है। प्राचीन काल में दिशाओं का ज्ञान मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण जगह रखता था। वास्तु के अनुसार पूर्व और दक्षिण दिशाओं के मध्य स्थान को आग्नेय कोण कहा जाता है यानि जहां अग्नि का वास हो या ताप संबंधित कार्य होते हो, उसी दिशा में रसोई का निर्माण होना सही रहता है।

ऐसा होने पर घरवालों का स्वास्थ्य ठीक रहता है और धन की कमी भी नहीं रहती है। माना जाता है कि किचन की बनावट भी बड़ी महत्वता रखती है। कहते हैं कि रसोई वर्गाकार हो तो ज्यादा बेहतर होता है अगर वर्गाकार न हो आयताकार हो तो वह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा में कुकिंग प्लेटफार्म बनाना चाहिए। जिससे आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इस दिशा को ज्ञान, स्वास्थ्य व मानस्क शांति के लिए शुभ माना जाता है। ऐसा खाना खाने वालों का स्वास्थ्य भी सही रहता है। आजकल के समय में छोटे-छोटे फलैटों में वास्तु के हिसाब से सबकुछ बनाना संभव नहीं होता है और जो जैसा बना हो वैसा ही उसे स्वीकार करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप वास्तु पर भरोसा रखते हैं तो वास्तु एक्पर्ट की सलाह से कुछ चीज़ों में परिवर्तन ला सकते हैं। अगर कुंकिग प्लेटफार्म पूर्व दिशा में नहीं है तो कम से कम वहीं एक खिड़की जरूर होनी चाहिए। जिससे कि सूर्य की रोशनी किचन में जा सके। पूर्व व उत्तर दिशा के मिलन वाले स्थान को ईशाण कोण कहा जाता है और ये घर का सबसे पवित्र स्थान माना गया है। इसलिए वास्तु के हिसाब से यहां मंदिर की स्थापना होनी चाहिए। इस दिशा का स्वामी बृहस्पति माना गया है। कहते हैं कि इस जगह को कभी भी गंदा नहीं रखना चाहिए। कूड़ा व अन्य सामान को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रख सकते हैं।

कहते हैं कि अगर किसी कारण से आपको किचन में बदलाव करना पड़े तो इसके लिए कभी भी संकोच न करें। जूठे बर्तनों को रसोई में कभी न रखें क्योंकि जब आप सुबह रसोई में जाएंगे तो रसोई घर को गंदा देखकर आपको अच्छा नहीं लगेगा। गंदगी देखने से मानसिक रोग भी हो सकता है। घर बनाते समय ध्यान रखें कि उत्तर व पूर्व दिशा नीची हो और दक्षिण व पश्चिम दिशा ऊंची रहे। क्योंकि ऐसे में पानी का बहाव उल्टी दिशा में रहेगा तो परिवार के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। पुरुषों में गुस्सा बढ़ेगा और महिलाएं किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाती हैं, क्योंकि महिलाएं ज्यादा समय तक घर में रहती हैं।

इस प्रकार वास्तु शास्त्र के सूत्र मानव कल्याण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, जिसका पालन करके जीवन को सुखी बनाया जा सकता है। साथ ही इसमें कोई शक नहीं कि आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होगी तथा आपके जीवन में यश व धन का कभी अभाव महसूस नहीं होगा।