May 3, 2024

राजस्थान में फिर आ सकता है सियासी संकट : राहुल की यात्रा से ठीक पहले हो रही घटनाएं, फिर बन सकता है अस्थिरता का माहौल

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में क्या एक बार फिर सियासी संकट आने वाला है?
जुलाई 2020 या सितंबर 2022 में जो देखने को मिला था वह फिर हो सकता है?
क्यों पायलट ने चुप्पी तोड़ी और गहलोत क्यों लगातार मुखर हो रहे हैं?
राजस्थान की राजनीति में ऐसा ही कुछ इन दिनों चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। लंबे समय बाद पायलट ने चुप्पी तोड़ी तो गहलोत ने जवाब दिया। पिछले दिनों ऐसे ही एक के बाद एक पांच ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम सामने आए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह पांचों घटनाक्रम पिछले 15 दिनों में घटे हैं। जो सीधे तौर पर गहलोत और पायलट से जुड़े हुए हैं।
ऐसा तब हो रहा है जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी हो चुका है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बन चुके हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी 3 दिसंबर को राजस्थान पहुंचने वाली है, जिसकी तैयारियां भी सरकार और पार्टी के स्तर पर शुरू हो चुकी हैं। सरकार और पार्टी के बीच जहां अभी एकजुटता का संदेश दिया जाना चाहिए, वहीं परिस्थितियां कुछ और ही इशारा कर रही है।

विधायक रामनिवास गावड़िया का राठौड़ पर हमला
सचिन पायलट के साथ जुलाई 2020 में मानेसर जाने वाले परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया ने अचानक एक बयान देकर कहा कि RTDC के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ तो बड़े नेताओं के जूते-चप्पल उठाते थे। इसका इनाम उन्हें चेयरमैन की कुर्सी के रूप में मिला है। राठौड़ मुख्यमंत्री के बेहद खास माने जाते हैं। राठौड़ ने पलटवार करते हुए यह कहा था कि उन्हें कांग्रेस से गद्दारी करने वालों से कोई सरोकार नहीं।

राजेन्द्र सिंह गुढ़ा का आलाकमान से सवाल
राज्य सरकार में सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चा में बने रहते हैं। हाल ही में उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से मीडिया के मार्फत सवाल किया कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने का निर्णय जल्द किया जाना चाहिए। ऐसा न होने से चुनावी साल में एक अजीब सी राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। गुढ़ा को पायलट का करीबी माना जाता है।

प्रताप सिंह खाचरियावास का IAS अफसरों की एसीआर भरने का अधिकार मांगना
खाद्य व रसद विभाग के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने हाल ही में एक बयान देकर कहा कि आईएएस अफसरों की एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) भरने का अधिकार उन्हें (मंत्री को) मिलना चाहिए। खाचरियावास ने कहा था कि यह अधिकार मुख्यमंत्री ने अपने पास ही क्यों रखे हुए हैं? जब जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा कि उन्हें तो उनके विभाग में सब अधिकार मिले हुए हैं तो खाचरियावास ने जोशी को गुलामी न करने की नसीहत दी थी। जोशी गहलोत के सबसे विश्वस्त मंत्रियों और 40 साल पुराने साथियों में गिने जाते हैं।

विधायक कुंदनपुर का मंदबुद्धि शब्द वाला लेटर
कोटा के सांगोद से विधायक हैं भरत सिंह कुंदनपुर। उन्होंने 3 नवंबर को मुख्यमंत्री के हाड़ौती दौरे के दौरान एक लेटर उन्हें लिखा। लेटर की भाषा कभी भी मुख्यमंत्री को लिखे जाने वाले पत्रों जैसी नहीं है। पत्र में कुंदनपुर ने खानों के झोपड़िया गांव को बारां के बजाए कोटा जिले में शामिल करने की मांग करते हुए लिखा कि यह मांग इतनी सरल है कि यह किसी मंदबुद्धि इंसान के भी समझ में आ सकती है, लेकिन मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री रामलाल जाट और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया के समझ में नहीं आ रही है।

सचिन पायलट की चुप्पी आखिरकार टूट ही गई
सचिन पायलट 25 सितंबर को विधायकों की इस्तीफा राजनीति के बाद से लगातार खामोश थे। उन्होंने कभी कोई टिप्पणी राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर नहीं की थी, लेकिन तीन दिन पहले आखिरकार उनकी भी चुप्पी टूट गई।
एक नवंबर को मानगढ़ धाम (बांसवाड़ा) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को देश का सबसे सीनियर सीएम कह कर उनकी तारीफ की थी। जिसके बाद दो नवंबर को पायलट ने बयान दिया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी गुलाम नबी आजाद की भी संसद में तारीफ की थी, बाद में क्या हुआ? आजाद कांग्रेस छोड़ गए और नई पार्टी बना ली। ऐसे में मोदी की ओर से गहलोत की तारीफ करने को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
इसके जवाब में गहलोत ने कहा था कि राजनीति में सभी को पद पर आने की महत्वाकांक्षा होती है। यह गलत भी नहीं, लेकिन इसकी अप्रोच (सोच) सही होनी चाहिए।