May 17, 2024

(राजस्थानी चिराग की खास खबर )
जयपुर.
करीब दो महीने राजनैतिक जोड़ तोड़ व असंतुष्ट विधायकों को राज़ी करके एक दफे तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बच गई, मगर ताजा जानकारी के अनुसार फिर से अंदर ही अंदर असंतोष की आग सुलगने लग गई है, कारण जिन कांग्रेसी विधायकों को कुर्सी का लालच देकर गहलोत सरकार ने समर्थन लिया था, लंबा समय बीतने के बाद भी उनकीं उम्मीदें पूरी नहीं हो रही है, और हालातों का हवाला देकर कुर्सी का बंटवारा टाला जा रहा है, ऐसे में अब उनका सब्र का बांध टूटने के कंगार पर पहुंच गया है तो दूसरी तरफ़ कांग्रेस हाई कमान ने असंतुष्टो की मांग पर एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर उन्हें उनके साथ न्याय करने का भरोसा दिलाकर वापस साथ मिलाया था, वह जांच कमेटी भी बहानेबाजी करके समय व्यतीत कर रही है, जिसके कारण असंतुष्टो को ऐसा महसूस हो रहा है कि उनके साथ धोखा हो रहा है, जांच कमेटी भी अशोक गहलोत के इशारे पर काम कर रही है। साथ में यह भी चर्चा है कि जितने भी विधायकों ने सचिन पायलट का साथ देकर गहलोत सरकार से नाराजगी जताई थी, उन सभी विधायकों के महत्वपूर्ण काम रोक दिये गये हैं, तथा उनकी डिजायरो को कोई महत्व नहीं दिया जाकर भविष्य में गहलोत सरकार का साथ देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। मगर लगता नहीं की अशोक गहलोत को इसमें सफलता मिलेगी, हो सकता है कि वह एक दफे तो सरकार का साथ देने की शपथ भी ले ले, मगर अंतिम में जब कभी भी विद्रोह की आग लगेगी वह घी डालने का काम करेंगे, यह तय है।

हालांकि अशोक गहलोत अब राजनैतिक जादूगिरी बताकर सचिन पायलट को पछाड़ मारकर असंतुष्ट विधायकों का साथ लेकर अपनी सरकार को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं, मगर इस बात से अनभिज्ञ लग रहे है कि उनका यह तीर उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है, असंतुष्टो का किसी हालत में उनको साथ नहीं मिलेगा, यह तय है, ठीक है कुछ हालात ऐसे हो गये थे कि उनको एक दफे गहलोत सरकार का समर्थन करने के लिए मजबूर होना पड़ा, दूसरी तरफ जिन विधायकों को कुर्सी का लालच देकर गहलोत सरकार के समर्थन में लाया गया, जैसे जैसे समय व्यतीत होता जा रहा है, उनकी उम्मीदो पर पानी फिरता जा रहा है, और अब तो उनके सब्र ने भी जबाब देना शुरू कर दिया है, वह भी अपने को ठगे से महसूस कर रहे हैं।

वर्तमान महामारी के दौर में भी काग्रेसी विधायकों को राज़ी करने के लिए रोक हटाकर तबादला उधोग को छूट दी गई है, मगर इस छूट से क्या बढ़ते असंतोष को दूर करने में गहलोत सफल होंगे? यह संभव लगता नहीं । हालांकि पिछली बार सचिन पायलट ने पूरी तैयारी के साथ गहलोत सरकार को हटाने का बिगुल बजाया था, मगर कुछ विधायकों ने सरकार के साथ पंगा लेने से डरकर अंतिम में सचिन पायलट का साथ छोड़ दिया था, अब सचिन पायलट सारी परिस्थितियों को भांप चुके हैं, और अंदर ही अंदर मजबूती से तैयारी में जुटे हुए हैं, फासला तो मात्र तीन का ही है, इसलिए इस बार सचिन पायलट तीन नहीं तेरह विधायकों को असंतुष्टो की कतार में खड़ा करके गहलोत सरकार का तख्ता पलट देगें, इस बात को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चाऐ गर्म है।