May 19, 2024

इस बार 8 दिन के नहीं, 9 दिन के होलाष्टक, जानिए वजह

जयपुर। इस बार होलाष्टक 9 दिन के होंगे। होली के आठ दिन पहले शुरू होने वाले ये होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के साथ रविवार को मध्यरात्रि 12 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो गए, जो जो फाल्गुन पूर्णिमा पर 7 मार्च तक रहेंगे। इस बीच दो एकादशी आने से इस बार होलाष्टक 9 दिन के होंगे। इस दौरान शादी—ब्याह सहित सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। अब मार्च में सिर्फ दो दिन ही सावे रहेंगे। इसके बाद 5 मई को पहला पंचांगीय सावा होगा।
ज्योतिषाचार्य सुरेश शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी 26 फरवरी को रात 12.59 बजे शुरू हो गई, ऐसे में अष्टमी के साथ ही होलाष्टक शुरू हो गए है, जो फाल्गुन पूर्णिमा तक रहेंगे। इस बीच दो एकादशी आने से इस बार होलाष्टक 7 मार्च तक 9 दिन के होंगे। इस बीच सभी तरह के मांगलिक कार्य पूर्णतया वर्जित रहेंगे। अब मार्च में सिर्फ 8 और 9 मार्च को ही पंचांगीय सावे है। इसके बाद गुरु अस्त होने के चलते मई में ही सावे शुरू हो पाएंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है। इस बार होलाष्टक 27 फरवरी से 7 मार्च तक रहेंगे। इस दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। इस बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। हालांकि देवी-देवताओं की आराधना के लिए होलाष्टक के दिन बहुत ही श्रेष्ठ माने जाते हैं। भगवान विष्णु की आराधना करना विशेष फलदायी रहेगा।

27 साल बाद बना संयोग
इस बार फाल्गुन माह में 27 साल बाद शुक्ल पक्ष में दो एकादशी का संयोग बना है। दो और तीन मार्च को एकादशी मनाई जाएगी। पहले दिन स्मार्त सम्प्रदाय के लोग एकादशी मनाएंगे, वहीं अगले दिन वैष्णव मत वाले एकादशी मनाएंगे।

होलाष्टक पर न करें ये कार्य
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाते हैं। होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो, सभी शुभ कार्य रोक दिये जाते हैं। एक मान्यता अनुसार किसी भी नवविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए।

2 अप्रेल को पश्चिम में गुरु अस्त, फिर मांगलिक कार्यों पर विराम
ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि 2 अप्रेल को पश्चिम में गुरु का तारा अस्त हो रहा है। ऐसे में होलाष्टक के बाद एक बार फिर से मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। गुरु 30 अप्रेल को पूर्व दिशा में उदय होंगे। इसके तीन दिन बाद तक बाल्यत्व दोष रहेगा। ऐसे में पहला पंचांगीय सावा 5 मई को शुरू होगा। इसके बाद ही शहनाइयां बजेंगी।