May 3, 2024

प्रमुख शासन सचिव ने बैठक में की प्रगति की समीक्षा

जयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा प्रदेश में पेयजल परियोजनाओं के प्रत्येक चरण की समयबद्ध मॉनिटरिंग के लिए ‘मोबाईल एप‘ का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए ‘प्रो-एमआईएस‘ मॉड्यूल के तहत एक खास ‘मोबाईल एप‘ तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से प्रोजेक्ट्स की हरेक स्टेज पर ‘जिओ-टैगिंग‘ के साथ फोटोग्राफ्स कैप्चर किए जाएंगे।

प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने सोमवार को झालाना स्थित जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन (वॉटर एवं सेनिटेशन सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन-डब्ल्यूएसएसओ) के कार्यालय में आयोजित नियमित समीक्षा बैठक में इस ‘एप‘ को इसी माह ‘रोल आउट‘ करने के निर्देश दिए। श्री यादव ने गत बैठकों के दौरान विभागीय कायोर्ं के निष्पादन में निखार और गति लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक उपयोग के निर्देश दिए थे, इसी क्रम में यह ‘मोबाईल एप‘ तैयार किया गया है। इससे प्रोजेक्ट के सभी चरणों में कार्य की गुणवत्ता पर भी बराबर नजर रहेगी।

इस ‘मोबाईल एप‘ के अतिरिक्त विभाग ने अधिशाषी अभियंताओ और जूनियर कैमिस्ट स्तर के अधिकारियों तक ‘मैसेजिंग‘ में उपयोग के लिए ‘जिम्स‘ (जीआईएमएस-गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम) नाम से भी एक एप विकसित किया है, जो ‘वॉट्सएप‘ के विकल्प के तौर पर आंतरिक सूचनाओं के आदान-प्रदान में प्रयुक्त होगा। बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने इस ‘एप‘ को भी इसी माह लांच करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा ‘राज-काज‘ एप्लीकेशन के तहत एपीए मॉड्यूल का इस्तेमाल भी वार्षिक कार्य मूल्यांकन एवं लीव एप्लीकेशन सम्बंधी कार्यों के लिए किया जाएगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि पीएचईडी के सभी तरह के कामों के लिए एक यूनिफाईड बीएसआर बनाई जाएगी।

हैंड पम्प के कार्यो की होगी जांच

बैठक में हैंड पम्प रिपेयरिंग अभियान की प्रगति के दौरान प्रमुख शासन सचिव ने निर्देश दिए कि प्रदेश में जिन हैंड पम्पों की जिओ टैगिंग हो गई है, उनका डाटा आशा सहयोगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सेवानिवृत शिक्षकों आदि के साथ साझा कर इनकी जांच कराई जाए। उन्होंने राज्य में वॉटर लैब्स एवं मोबाईल वॉटर लैब्स के जरिए पानी के नमूनों की जांच की प्रगति की समीक्षा करते हुए ब्लॉक स्तर पर जल प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए टेंडर प्रक्रिया को भी शीघ्रता से पूर्ण करने के निर्देश दिए।

सोलर पैनल्स से ऊर्जा उत्पादन की योजना

यादव ने बैठक में अधिकारियों के साथ विभाग के भवनों और अन्य परिसम्पतियों पर सोलर पैनल स्थापित करने के सम्बंध में भी विस्तार से चर्चा की। इस दौरान जोधपुर क्षेत्र में करीब 190 किलोमीटर लम्बी राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल (आरजीएलसी) तथा पूरे प्रदेश में बड़े रिजर्वायर्स और अन्य जगहों पर सोलर पैनल्स लगाने के बारे में विचार विमर्श किया गया। इससे इन परिसम्पतियों के तहत काम कर रहे पम्पिंग स्टेशन पर काम में आने वाली बिजली की बचत के साथ ही अतिरिक्त ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। आरजीएलसी क्षेत्र में करीब 110 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाकर वृहद स्तर पर ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में ऎसे करीब 140 पम्पिंग स्टेशन चिह्वित किए गए है, जहां 75 किलोवाट क्षमता के सोलर संयत्र लगाए जाने की सम्भावना है। अधिकारियों को इस दिशा में आगे बढ़ने के निर्देश दिए गए।

पेयजल प्रबंधन की विस्तृत समीक्षा

बैठक में प्रदेश में पेयजल प्रबंधन की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश के 52 शहरों में 570 टैंकर्स के माध्यम से 3898 ट्रिप प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 2596 गांवों एवं 3739 ढाणियों में 1458 टैंकर्स के माध्यम से 5917 ट्रिप प्रतिदिन के आधार पर जल परिवहन की व्यवस्था की जा रही है। पिछले साल इसी समय प्रदेश के 59 शहरों में 624 टैंकर्स के माध्यम से 4165 ट्रिप प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 3707 गांवों एवं 3256 ढाणियों में 2271 टैंकर्स के माध्यम से 9272 ट्रिप प्रतिदिन के आधार पर जल परिवहन की व्यवस्था की जा रही थी। गत एक अप्रेल से जारी 44वें हैंड पम्प मरम्मत अभियान के तहत शहरी क्षेत्रों में 7947 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 58 हजार 969 हैंड पम्पों की मरम्मत की गई है। इसके साथ ही 1348 हैंड पम्प, 1282 ट्यूबवेल्स एवं 100 सिंगल फेज ट्यूबवेल्स खोद गए है, जबकि 718 हैंड पम्प, 852 ट्यूबवेल्स एवं 15 सिंगल फेज ट्यूबवेल्स की कमीशनिंग की जा चुकी है। यह भी जानकारी दी गई कि गत 24 मार्च से लोगों की पेयजल से सम्बंधित समस्याओं की सुनवाई के लिए स्थापित राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष पर अब तक दर्ज 1265 में से 1214 तथा जिलों में कार्यरत नियंत्रण कक्षों में प्राप्त 13520 प्रकरणों में से 13417 का निस्तारण किया जा चुका है। इसके अलावा जल परियोजनाओं के लिए थ्री फेस के 1004 तथा सिंगल फेस के 194 कनेक्शंस के लिए एप्लाई किया जा चुका है, जिनमें से थ्री फेस के 733 तथा सिंगल फेस के 164 कनेक्शन जारी भी किए जा चुके है।

इन पर भी हुई चर्चा
बैठक में जल जीवन मिशन की प्रगति के तहत एफएचटीसी-फंक्शनल हाउसहोल्ड टैप्ड कनेक्शन (घर घर नल से जल कनेक्शन) की एंट्रीज, बजट घोषणाओं की प्रगति, विभाग में जेईन एवं मंत्रालयिक संवर्ग के रिक्त पदों पर ‘एप्रेंटिस‘ (प्रशिक्षुओं) को लगाने, प्रोजेक्ट्स के तहत कार्य कर रही एजेंसीज एवं फमोर्ं से जुड़े विषय, जल संरक्षण के कायोर्ं, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स के लिए वॉटर सप्लाई पॉलिसी के फ्रेमवर्क, अंतर विभागीय मुद्दों, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक एवं जीका के सहयोग से संचालित परियोजनाओं के कायोर्ं, निर्धारित समय सीमा को पार कर चुके प्रोजेक्ट्स की प्रगति, सम्पर्क पोर्टल पर बकाया प्रकरण, विभाग में डीपीसी के बकाया प्रकरणों, भू-जल विभाग से जुड़े मसलों सहित अन्य बिंदुओं की भी समीक्षा की गई।

बैठक में उप शासन सचिव आरएस मक्कड़, मुख्य अभियंता (शहरी एवं एनआरडब्ल्यू) सीएम चौहान, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) आरके मीना, मुख्य अभियंता (प्रशासन) संदीप शर्मा, मुख्य अभियंता (तकनीकी) दिनेश गोयल, मुख्य अभियंता (भू-जल) सूरजभान सिंह तथा डब्ल्यूएसएसओ के निदेशक अमिताभ शर्मा के अलावा अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद थे।