May 6, 2024

यरुशलम .इस्लामी अतिवादी संगठन हमास ने फलस्तीनी नेताओं से शांति प्रक्रिया से हट जाने और इजरायल के खिलाफ नए सिरे से संघर्ष छेड़ने की अपील की है। फलस्तीनियों के हक के लिए हिंसक संघर्ष करने वाले हमास ने शुक्रवार को आक्रोश दिवस मनाते हुए यह अनुरोध किया। हमास ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी का दर्जा दिए जाने के अमेरिकी फैसले के खिलाफ विरोध जताया। इस दौरान वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में अमेरिका के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए और पथराव हुआ। दुनिया के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन होने की खबर है। इस बीच इजरायल ने पूर्वी यरुशलम में नए आवास बनाने की घोषणा की है।

यरुशलम में अमेरिकी दूतावास स्थानांतरित करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले ने मुस्लिम जगत को हिला कर रख दिया है। अभी तक कोई भी मुस्लिम देश अमेरिका के फैसले के साथ खड़ा नहीं हुआ है। फैसले के खिलाफ स्वाभाविक रूप से सबसे तीखी प्रतिक्रिया फलस्तीन के कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में हुई है। गुरुवार को फलस्तीनी आंदोलनकारियों की इजरायली सेना के साथ हुई हिंसक झड़पों में 31 लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों के अनुसार ये लोग इजरायली सेना की फायरिंग और रबर बुलेट फायरिंग से घायल हुए। इजरायल की सेना के अनुसार गाजा पट्टी से एक विमान और एक टैंक को निशाना बनाने की कोशिश की गई।

वहां से कुल तीन रॉकेट दागे गए। नुकसान की जानकारी नहीं दी गई है। जिहादी सलाफी ग्रुप अल-तवाहीद ब्रिगेड्स ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में अमेरिका विरोधी नारेबाजी के बीच इजरायली सुरक्षा बलों पर रह-रहकर पथराव की घटनाएं हो रही हैं। इजरायल ने दोनों ही इलाकों में सेना की तैनाती बढ़ा दी है। पड़ोसी देश जॉर्डन में भी विरोध प्रदर्शन की खबर है। उल्लेखनीय है कि यरुशलम में मुस्लिम, यहूदी और ईसाई धर्मो की आस्था वाले प्रमुख धर्मस्थल हैं और वहां पर तीनों ही धर्मो के लोग भी रहते हैं। इजरायल और फलस्तीन, दोनों ही अपनी राजधानी यरुशलम को बनाना चाहते थे लेकिन ट्रंप के फैसले से इजरायल को दावा पक्का हो गया है।

फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने ताजा घटनाक्रम पर चर्चा के लिए गुरुवार को जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला से मुलाकात की। जॉर्डन का शाही परिवार परंपरागत रूप से यरुशलम के धार्मिक स्थलों के रखरखाव का जिम्मेदार है। जॉर्डन ट्रंप के फैसले को कानूनी रूप से बेकार करार दे चुका है। वैसे राष्ट्रपति ट्रंप ने महमूद अब्बास को आश्वस्त किया है कि अमेरिका फलस्तीनियों के हक का भी ध्यान रखेगा। शांति प्रक्रिया आगे बढ़ने पर भविष्य की राह खुलेंगी।

इजरायल के आवास मंत्री योव गैलेंट ने कहा है कि अगले हफ्ते होने वाली कैबिनेट की बैठक में वह पूर्वी यरुशलम में 14 हजार नए घरों के निर्माण का प्रस्ताव रखेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले के बाद यरुशलम में बड़े पैमाने पर काम होंगे जिसके चलते वहां पर बड़ी संख्या आवासों की जरूरत होगी।

यरुशलम पर ट्रंप के फैसले का असर एशिया में भी दिखाई दिया। शुक्रवार को इंडोनेशिया और मलेशिया में हजारों मुसलमानों ने प्रदर्शन करके अमेरिकी फैसले की निंदा की। जकार्ता और कुआलालंपुर में हुए प्रदर्शनों में लोगों ने फलस्तीन के झंडे हाथ में लेकर उसके प्रति समर्थन का इजहार किया। विरोध प्रदर्शनों में उमड़ा गुस्सा देखते हुए दोनों देशों में स्थित अमेरिकी दूतावासों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उल्लेखनीय है कि इंडोनेशिया दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है। हाल के वर्षो में वहां पर कट्टरपंथियों का प्रभाव बढ़ा है।

श्रीनगर में अमेरिका के विरोध में प्रदर्शनों के मद्देनजर आंशिक प्रतिबंध

अलगाववादियों द्वारा अमेरिका के विरोध में बुलाए गए प्रदर्शनों के मद्देनजर शुक्रवार को श्रीनगर में आंशिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुख और मोहम्मद यासीन मलिक ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी की मान्यता देने के फैसले के विरोध में शुक्रवार को नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

पुलिस के मुताबिक नौहट्टा, एम.आर.गंज और सफा कदल में प्रतिबंध लगाए गए हैं। मीरवाइज उमर फारुख को नजरबंद रखा गया है जबकि सैयद अली गिलानी पहले से ही नजरबंद हैं। इन तीनों क्षेत्रों में पुलिस और अर्धसैनिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की भारी तैनाती की गई है।

ट्रंप की घोषणा के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को एक बैठक बुलाई है। सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम 8 सदस्यों ने वैश्विक निकाय से एक विशेष बैठक बुलाने की मांग की है। बैठक की मांग करने वाले देशों में दो स्थायी सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस और बोलीविया, मिस्र, इटली, सेनेगल, स्वीडन, ब्रिटेन और उरग्वे जैसे अस्थायी सदस्य शामिल हैं।