April 26, 2024

कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने भाजपा और नरेंद्र मोदी को अमित आनंद करवा दिया है। गुजरात के चुनाव में भाजपा की डांवाडोल हो रही नाव को ‘नीच किस्म का आदमी’ ने कमाल का टेका लगा दिया है। ये शब्द उतने ही प्राणलेवा हैं, जितने कि वे शब्द जो महाभारत में दुर्योधन ने धृतराष्ट्र के लिए कहे थे। इन शब्दों का चाबुक बनाकर नरेंद्र मोदी अब गुजरात में कांग्रेस की खाल उधेड़ रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि यह किसका अपमान है ? क्या पूरे गुजरात का नहीं ? सारे गुजरातियों का नहीं ? क्या देश की सभी नीची कही जानेवाली जातियों का नहीं ? मोदी ने इन शब्दों पर सांप्रदायिक मुलम्मा भी चढ़ा दिया। उन्हें मुगलिया संस्कृति भी बता दिया। अय्यर के ये शब्द कांग्रेस के गले के सांप बन गए हैं। इसीलिए घबराई हुई कांग्रेस क्या करती ? उसने अय्यर की टिप्पणी से हाथ ही नहीं धोए, उन्हें मुअत्तिल भी कर दिया। लेकिन कांग्रेस अय्यर का क्या बिगाड़ लेगी ? अय्यर ने तो कह दिया कि हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है। वे हिंदी शब्दों का ठीक-ठाक अर्थ नहीं समझते। यदि उनके कहे हुए ‘नीच किस्म के आदमी’ शब्दों का अर्थ नीची जाति में पैदा हुए आदमी है तो वे माफी मांगते हैं लेकिन इन शब्दों का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है। इनका अर्थ वही है, जो अय्यर कहना चाहते थे। मोदी ने अय्यर को बिल्कुल ठीक समझा है लेकिन नीची जातिवाला अर्थ अपनी तरफ से जोड़कर उन्होंने सारे मामले का चुनावीकरण कर दिया है। यही राजनीति है। यही चतुराई है। अय्यर ने अटलजी को भी ‘नालायक’ कह दिया था। ‘नालायक’ का शाब्दिक अर्थ तो अयोग्य होता है लेकिन ‘नालायक’ शब्द का प्रयोग गाली के तौर पर होता है। ‘नीच किस्म का आदमी’ और ‘नालायक’ शब्द गाली के रुप में ही प्रयुक्त होते हैं, यह जानने के लिए आपको हिंदी व्याकरण का पंडित होने की जरुरत नहीं है। मुझे विश्वास है कि सिर्फ अय्यर ही नहीं, कई अन्य नेता और पत्रकार मोदी के लिए व्यक्तिगत बातचीत के दौरान जिन शब्दों और उपाधियों का प्रयोग करते हैं, उनका सार्वजनिक प्रदर्शन कतई नहीं करेंगे, खास तौर से राहुल गांधी के बारे में। ये दोनों जैसे भी हैं, देश की दो बड़ी पार्टियों के नेता हैं। भारतीय लोकतंत्र को हम यदि पटरी पर चलते रहने देना चाहते हैं तो कम से कम अपने शब्दों की लक्ष्मण-रेखा का उल्लंघन न करें।