May 9, 2024

राहुल के बयान से साफ, गहलोत को छोड़ना होगा मुख्यमंत्री का पद

जयपुर। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे चल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुर अब राहुल गांधी के उस बयान के बाद बदल गए है, जिसमें राहुल गांधी ने कोच्चि में पूरी तरह से साफ कर दिया है की पार्टी में ‘एक व्यक्ति एक पद’का फार्मूला लागू रहेगा। उदयपुर के नव संकल्प शिविर में जो फैसले लिए गए थे वो लागू रहेंगे। राहुल गांधी के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुर भी बदल गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी संकेत दिए हैं कि वो अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो फिर मुख्यमंत्री का पद छोड़ेगे क्योंकि संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति पार्टी के प्रमुख पद पर नहीं रह सकता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में भी साफ कहा है कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई मुख्यमंत्री पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना हो।

सोनिया से मुलाकात के बाद भी बदले सुर
बुधवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ही अशोक गहलोत के सुर बदल गए। करीब 2 घंटे तक चली मुलाकात के दौरान बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने भी अशोक गहलोत को ‘एक व्यक्ति एक पद’ सिद्धांत के फार्मूले के पालना करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुर बदल गए थे और उन्होंने यहां तक कह दिया था कि वो राहुल गांधी के साथ देश भर के दौरे करेंगे और कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेंगे।
सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री अशोक लगातार मीडिया में भी बयान देते आए थे कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों के पद संभालेंगे। जयपुर में भी मुख्यमंत्री कई बार इस बात को थोड़ा चुके हैं थी राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद पर कोई कंप्रोमाइज नहीं होगा।

गहलोत नहीं तो कौन होगा मुख्यमंत्री
इधर, कांग्रेस के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अगर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़ते हैं तो फिर उनकी जगह किस की ताजपोशी होगी। पार्टी का एक धड़ा जहां सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहा है तो पार्टी का दूसरा धड़ा चाहता है कि गहलोत समर्थकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
कांग्रेस हलकों में चर्चा इस बात की है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने किसी विश्वस्त को ही मुख्यमंत्री बनवाना चाहते हैं। चर्चा यह भी है कि पार्टी के परंपरागत वोट बैंक आने वाली जातियों से ही मुख्यमंत्री का चेहरा सामने आएगा। हालांकि पूरी तस्वीर 30 सितंबर के बाद ही साफ हो पाएगी कि अशोक गहलोत अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होते हैं तो फिर राजस्थान की कमान किसके हाथों में होगी।