May 10, 2024

राजस्थान के 1 लाख संविदा कर्मचारी नहीं हो पाएंगे परमानेंट! : आईएएस कैडर की तर्ज पर कार्य अनुभव जोडऩे का शुरू हुआ विरोध

जयपुर। राजस्थान में संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने के फैसले पर विवाद शुरू हो गया है। संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा- सरकार संविदा कर्मचारियों के अनुभव को आईएएस की तर्ज पर जोड़ रही है। इससे प्रदेश के एक लाख से ज्यादा कर्मचारी परमानेंट होने से रह जाएंगे। ऐसे में सरकार बजट सत्र में ही अपने आदेश में संशोधन कर पंजाब और उड़ीसा की तर्ज पर संविदा कर्मचारियों के कार्य अनुभव को जोड़ें। ताकि लंबे वक्त से कम मानदेय (सैलरी) पर काम कर रहे प्रदेश के कर्मचारियों को न्याय मिल सके।
संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा के रामस्वरूप टाक ने कहा- पंजाब और उड़ीसा में भी संविदा कर्मचारियों को परमानेंट किया गया है। वहां पर कर्मचारियों के पूरे कार्य अनुभव को ही परमानेंट करने के वक्त जोड़ा गया। लेकिन राजस्थान में बेवजह नियमों के साथ छेड़छाड़ कर आईएएस कैडर की तर्ज पर कर्मचारियों के कार्य अनुभव की गणना की जा रही है। जो सरासर गलत है।
टाक ने कहा- आईएएस पैटर्न के आधार पर 3 साल का कार्य अनुभव सिर्फ 1 साल जोड़ा जाता है। ऐसे में पिछले 15 साल से जो कर्मचारी काम कर रहे है। उनका कार्य अनुभव इस फैसले के बाद महज 5 साल हो जाएगा। इससे प्रदेश के 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी परमानेंट नहीं हो सकेंगे। कांग्रेस सरकार के इस धोखे को राजस्थान के कर्मचारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे में अगर प्रदेश के कर्मचारियों का कार्यानुभव शुरुआत से (बिना आईएएस नियम) नहीं जोड़ा गया। तो राजस्थान के एक लाख से ज्यादा कर्मचारी और उनके परिजन कांग्रेस सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।

दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 फरवरी को जारी बजट में संविदा कर्मियों को परमानेंट करने के नियम में संशोधन किया था। बिंदु संख्या 158 में उन्होंने कहा था कि राजस्थान के संविदा कर्मचारियों को भी आईएएस में चयन के समय पूर्व में की गई सेवा लाभ दिए जाने की तर्ज पर संविदा कर्मियों को भी नवीन नियमों में आने से पहले की सेवा लाभ दिए जाने की घोषणा करता हूं। इसके बाद से ही प्रदेश भर के संविदा कर्मचारियों ने सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है।
बता दें कि पिछले दिनों सरकार ने सरकारी विभागों में काम कर रहे 1 लाख 10 हजार से ज्यादा संविदाकर्मियों को नियमित करने का फैसला किया गया था। जिसमें शिक्षाकर्मी, पैराटीचर्स और ग्राम पंचायत सहायक को कॉन्ट्रैक्चुअल सर्विस रूल्स के दायरे में लेने का 21 अक्टूबर को ही फार्मूला तय किया था। जिसके तहत जिन संविदाकर्मियों का पहले का वेतन ज्यादा होगा। तो उन्हें मिलने वाले वेतन में दो सालाना इंक्रीमेंट जोड़कर नया वेतन तय करने का प्रावधान है।
वहीं संविदा पर शुरुआती वेतन 10 हजार 400 रुपए हर महीने तय होगा। ऐसे में 9 साल सर्विस पूरी करने पर 18 हजार 500 और 18 साल की सर्विस पूरी होने पर 32 हजार 300 रुपए का वेतन मिलेगा। इसके साथ ही जिन संविदा कर्मचारियों का पहले से मिलने वाला वेतन संरक्षित किया गया है। उनकी 9 और 18 साल की सर्विस की गिनती इन नियमों के आने की तारीख से होगी। पहले की सर्विस 9 और 18 साल की गिनती में शामिल नहीं होगी।

1 लाख 10 हजार 279 संविदाकर्मी होंगे नियमित
राजस्थान में मौजूदा समय में शिक्षा विभाग के शिक्षा कर्मी, पैराटीचर्स, ग्राम पंचायत सहायक, अंग्रेजी माध्यम टीचर सहित कुल 41 हजार 423 संविदाकर्मी नियमित होंगे। इसी तरह ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के राजीविका और मनरेगा के कुल 18 हजार 326 संविदाकर्मी, अल्पसंख्यक विभाग के 5 हजार 697 मदरसा पैरा टीचर्स, हेल्थ डिपार्टमेंट के 44 हजार 833 संविदाकर्मियों सहित कुल 1 लाख 10 हजार 279 संविदाकर्मी नियमित होंगे।