May 10, 2024

पूर्व मुख्य न्यायाधीशों व वकीलों ने खोला मोर्चा…हाईकोर्ट में पीआईएल दायर, सीएम ने दी सफाई

जयपुर। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमत्री अशोक गहलोत के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबबानी और इलाहाबाद के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने सीएम के बयान को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई करने और आरोपों की जांच कराने की मांग की है।

इस बीच जोधपुर में वकीलों ने शुक्रवार को हाईकोर्ट सहित सभी अदालतों में एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की चेतावनी दी, वहीं राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में गुरुवार को अशोक गहलोत के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए जनहित याचिका दायर हो गई। जनहित याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है, वहीं बूंदी में दायर परिवाद पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 5 सितंबर को सुनवाई तय की है। उधर, मुख्यमंत्री गहलोत ने गुरुवार को अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा है कि जो आरोप लगाए हैं वे उनकी निजी राय नहीं हैं और ऐसे आरोप पहले भी लगते रहे हैं।

जनहित याचिका एडवोकेट शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर की गई है, जिसमें कहा है कि सीएम गहलोत ने जानबूझकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर राज्य की न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचाया है। वकील समुदाय को सीएम की ओर से न्यायपालिका व वकीलों के संबंध में दिया गया बयान बर्दाश्त नहीं है। सीएम गहलोत का बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला व प्रतिष्ठा को गिराने वाला है। गहलोत का बयान न्यायिक अधिकारियों और वकीलों की प्रतिष्ठा को नीचा दिखाने का प्रयास है। इस बयान को लेकर हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत अशोक गहलोत के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान ले।

सीएम ने बुधवार को यह बयान दिया
सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले तक वकील लिखते हैं और वे जो लिखकर लाते हैं, वहीं फैसला आता है। चाहे निचली कोर्ट हो या हाईकोर्ट, हालात गंभीर हैं। देशवासियों को इस संबंध में सोचना चाहिए। गहलोत ने कहा कि हमने कई हाईकोर्ट जज बनवाने में मदद की होगी, 25 साल पहले सीएम हाईकोर्ट जज बनाने की सिफारिश भेजते थे, लेकिन जज बनने के बाद मैंने जिंदगीभर उन लोगों से बात नहीं की।

सीएम ने गुरूवार को यह सफाई दी
मैंने न्यायपालिका के भ्रष्टाचार को लेकर जो कहा, वो मेरी निजी राय नहीं हैं। मैंने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है। हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और उस पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों पूर्व न्यायाधीशों व पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर टिप्पणियां कर चिंता जाहिर की है। मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है।

यह बोले पूर्व मुख्य न्यायाधीश
न्यायपालिका को लेकर दिए गए बयान के संदर्भ में त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए। सीएम के बयान की भर्त्सना के लिए तत्काल हाईकोर्ट की पूर्णपीठ की बैठक बुलाई जाए और आगामी रणनीति तय की जाए। साथ ही, सभी जिला न्यायाधीशों को परिपत्र जारी कर ऐसी किसी भी शिकायत के बारे में जानकारी मांगी जाए।
– सुनील अंबबानी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट